वर्षा ऋतु का महत्व पर निबंध
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☞ निबंध लेखन : ✴" वर्षा ऋतु "✴
ग्रीष्म ऋतु संपूर्ण जगत को शुष्क बना डालती है | गर्मी के कारण खेतों की हरियाली खत्म हो जाती है चारों तरफ़ उजाड़-सा नज़र आने लगता है |
पशु-पक्षी सभी गर्मी के कारण व्याकुल नज़र आते हैं | इसी व्याकुलता को मिटाने के लिए वर्षा ऋतु आती है | वर्षा ऋतु सभी ऋतुओ़ में प्रधान मानी जाती है, क्योंकि भारत एक कृषि-प्रधान देश है | कृषि की सफलता और विफलता वर्षा पर ही निर्भर करती है |
भारत की छह ऋतुओं में वर्षा ऋतु का अपना अलग महत्व है | ग्रीष्म की तपन से मुक्ति पाने से वर्षा का आगमन बड़ा सुखद लगता है | इस ऋतु में चारों तरफ़ हरियाली नज़र आती है | नदी-नाले सभी पानी से भर जाते हैं कहीं मेंढक टर्र-टर्र की आवाज़ करते हैं तो कहीं झींगुर की झंकार सुनाई देती है | आकाश में काले-काले बादलों को देखकर मयूर नृत्य करने लगते हैं | इस ऋतु में इंद्रधनुष की शोभा बहुत ही निराली होती है | किसान अपनी खेती में जुट जाते हैं |
इस ऋतु में हम लोग कई त्यौहार भी मनाते हैं,
जैसे-- रक्षाबंधन, जन्माष्टमी तथा स्वतंत्रता दिवस | वर्षा ऋतु का उल्लास ग्रामीण युवतियों के झूला झूलने तथा गीत गाने में झलकता है | यह ऋतु हमें जीवन का सौंदर्य तथा कर्म की प्रेरणा भी देती है |
वर्षा ऋतु से जहाँ अनेक लाभ है वहाँ हानियाँ भी कम नहीं है | जहाँ-तहाँ पानी के जमाव से मच्छर उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे मलेरिया जैसे घातक रोग फैल जाते हैं | चारों और कीचड़ के कारण कहीं भी आना-जाना कठिन प्रतीत होने लगता है | बाढ़ के कारण गाँव-के-गाँव नष्ट हो जाते हैं | कितने मकान गिर जाते हैं | कई तरह के कीड़े-मकोड़े नज़र आने लगते हैं | इतनी सारी हानियों के बावजूद भी वर्षा ऋतु जीवनदायिनी तथा जीवन के लिए एक वरदान है | इसलिए वर्षा ऋतु को ' ऋतुओं की रानी ' कहा गया है |
✨धन्यवाद.....!!
✨आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा.....!!
@01GK.....^_^
Answer:
वर्षा ऋतु पर निबंध 6 (400 शब्द)
प्रस्तावना
धरती तप रही थी सूर्य आग उगल रहा था। सारे पेड़ पौधे सुख रहे थे। पक्षी-पशु जल बिना बेहाल थे। हर व्यक्ति उत्तेजना से मानसून की प्रतीक्षा कर रहा था। तभी आश्चर्यजनक रूप से मौसम में बदलाव आया। आकाश बदलो से घिर गया, तेज हवा और गड़गड़ाहट के साथ मध्य वर्षा होने लगी। मिट्टी की सौंधी सुगंध सांसों को महकने लगी। पेड़ पौधों में नया जीवन आ गया।
वर्षा ऋतु हम सभी के लिये प्यारा मौसम होता है। सामान्यतः: ये जुलाई के महीने में आता है और सितंबर के महीने में जाता है। ये प्रचण्ड गर्मी के मौसम के बाद आता है। ये धरती पर मौजूद हर जीव-जन्तु के लिये एक उम्मीद और जीवन लेकर आता है जो सूरज की ताप की वजह से खत्म हो जाता है। यह अपने प्राकृतिक और ठंडे बारिश के पानी की वजह से लोगों को बहुत राहत देता है। गर्मी के कारण जो नदी और तालाब सूख जाते वे फिर से बारिश के पानी से भर जाते है इससे जलचरों को नया जीवन मिल जाता है। यह उद्यानों और मैदानों को उनकी हरियाली वापस देती है। वर्षा हमारे पर्यावरण को एक नयी सुंदरता प्रदान करती है हालाँकि ये दुख की बात है कि ये सिर्फ तीन महीनों के लिये रहती है।
सबसे अधिक महत्व किसानों के लिये
आम जन जीवन के अलावा वर्षा ऋतु का सबसे अधिक महत्व किसानों के लिये है क्योंकि खेती के लिये पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती है जिससे फसलों को पानी की कमी न हो। सामान्यतः: किसान कई सारे गड्ढे और तालाब बनाकर रखते है जिससे वर्षा के जल का जरूरत के समय उपयोग कर सकें। वास्तव में वर्षा ऋतु किसानों के लिये ईश्वर के द्वारा दिया गया एक वरदान है। बारिश न होने पर वे इन्द्रराज देव से वर्षा के लिये प्रार्थना करते है और अंततः: उन्हें वर्षा का आशीर्वाद मिल जाता है। आसमान में बादल छाये रहते है क्योंकि आकाश में यहाँ और वहाँ काले, सफेद और भूरे बादल भ्रमण करते रहते है। घूमते बादल अपने साथ पानी लिये रहते है और जब मानसून आता है तो बारिश हो जाती है।
वर्षा ऋतु के आने से पर्यावरण की सुंदरता बढ़ जाती है। मुझे हरियाली बेहद पसंद है। वर्षा ऋतु के पलों का आनन्द लेने के लिये मैं सामान्यतः अपने परिवार के साथ बाहर घूमने जाता हूँ। पिछले साल मैं नैनीताल गया था और वह एक अच्छा अनुभव था। कई पानी से भरे बादल कार में हमारे शरीर पर पड़े और कुछ खिड़की से बाहर निकल गये। बारिश बहुत धीमे हो रही थी और हम सभी इसका आनन्द उठा रहे थे। हम लोगों ने नैनीताल में बोटिंग (नौकायन) का भी आनन्द उठाया। हरियाली से भरा नैनीताल बहुत अद्भुत लग रहा था।
निष्कर्ष
ज्यादा बारिश हमेशा खुशियां ही नहीं लाता कभी-कभी जल प्रलय का कारण भी बन जाता है। कई जगह ज्यादा बारिश होने से गांव डूब जाते है और जन-धन की भी हानि होती है। बहुत ज्यादा बारिश के कारण खेते डूब जाते है फसलें भी नष्ट हो जाती और किसानों को बहुत नुकसान भी होता है।
वर्षा ऋतु पर निबंध 7 (650 शब्द)
प्रस्तावना
वर्षा ऋतु को सभी ऋतुओं का रानी कहा जाता है। भारत में चार मुख्य ऋतुओं में वर्षा ऋतु एक है। यह हर साल गरमी के मौसम के बाद जुलाई से शुरु होकर सितंबर तक रहता है। जब मानसून आता है तो आकाश के बादल बरसते है । गर्मी के मौसम में तापमान अधिक होने के कारण पानी के संसाधन जैसे महासागर, नदी आदि वाष्प के रुप में बादल बन जाते है। वाष्प आकाश में इकट्ठा होती है और बादल बन जाते है जो वर्षा ऋतु में चलते है जब मानसून बहता है और बादल आपस में घर्षण करते है। इससे बिजली चमकती और गरजती है और फिर बारिश होती है।
वर्षा ऋतु का आगमन
हमारे देश में चार मुख्य ऋतुओं में वर्षा ऋतु एक है। यह ऐसी ऋतु है जो लगभग सभी लोगों की पसंदीदा होती है क्योंकि झुलसा देने वाली गर्मी के बाद ये राहत का एहसास लेकर आती है। वर्षा ऋतु जुलाई से शुरू होती है अर्थात सावन भादों के महीनों में होती है। यह मौसम भारतीय किसानों के लिए बेहद ही हितकारी एवं महत्वपूर्ण है।
कड़कड़ाती गर्मी के बाद जून और जुलाई के महीने में वर्षा ऋतु का आगमन होता है और लोगों को गर्मी से काफी राहत मिलती है। वर्षा ऋतु एक बहुत ही सुहाना ऋतु है। वर्षा ऋतु आते ही लोगों में खासकर के किसानों में खुशियों का संचार हो जाता है। वर्षा ऋतु सिर्फ गर्मी से ही राहत नहीं देता है बल्कि यह खेती के लिए वरदान है। बहुत सारे फसल अच्छी वर्षा पर निर्भर करता है। अगर अच्छी वर्षा नहीं हुई तो ज्यादा उपज नहीं हो पाएगा, जिससे लोगों को सस्ते में अनाज नहीं मिल पाएगा।
वर्षा ऋतु के फायदे और नुकसान
वर्षा ऋतु के अपने फायदे और नुकसान है। बारिश का मौसम सभी को अच्छा लगता है क्योंकि यह सूरज की तपती गर्मी से राहत देता है। यह पर्यावरण से सभी गर्मी को हटा देता है और एक ठंडक एहसास होता है। यह पेड़, पौधे, घास, फसल और सब्जियों आदि को बढ़ने में मदद करता है। यह मौसम सभी जानवरों और पक्षियों को भी बेहद पसंद होता है क्योंकि उन्हें चरने के लिये ढेर सारी घास और पीने के लिये पानी मिल जाता है। और इससे हमें दिन में दो बार गाय और भैंसों का दूध उपलब्ध हो जाता है। सभी प्राकृतिक संसाधन जैसे नदी और तालाब आदि पानी से भर जाते है।
जब बारिश होती है तो सभी सड़कें, उद्यान तथा खेल के मैदान आदि जलमग्न और कीचड़युक्त हो जाते है। इससे हमें रोज खेलने में बाधा उत्पन्न होती है। सूरज की उपयुक्त रोशनी के बिना सब कुछ बदबू करने लगता है। सूरज की रोशनी की कमी की वजह से बड़े स्तर पर संक्रामक बीमारियों (विषाणु, फफूंदी और बैक्टीरिया से होने वाली) के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। वर्षा ऋतु में, भूमि की कीचड़ और संक्रमित वर्षा का पानी धरती के अंदर जाकर पानी के मुख्य स्रोत के साथ में मिलकर पाचन क्रियाओं के तंत्र को बिगाड़ देते है। भारी बारिश के कारण बाढ़ की संभावना भी बनी रहता है।
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