Hindi, asked by gaddlarameshbabu, 11 hours ago

वरिष्ठ नागरिकों (वयोवृद्धों) के प्रति आदर-सम्मान की भावना से जुड़ी कोई कहानी ढूँढकर लाइए। कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।​

Answers

Answered by itpawans
9

Answer:

qबड़ो का सम्मान

जीवन में कई ऐसे पल आते हैं जब हमें अपने चारों ओर अंधकार ही दिखाई पड़ता है। ऐसे समय में हमारा मार्गदर्शक ही हमें उस अँधेरे से निकाल कर उजाले की तरफ ले जाता है। जीवन में मुसीबतों के अँधेरे में हम तभी जाते हैं जब हम अपने से बड़ों या अपने मार्गदर्शक के कहे अनुसार नहीं चलते। यदि हम उन्हीं की छत्रछाया में रहें और वैसा ही करें जैसा वे कहते हैं तो जीवन हमेशा खुशहाल बना रहेगा। आइये ऐसे ही महाभारत के प्रेरक प्रसंग पर ध्यान दें जिससे हमें अपने से बड़ों के आदर , सम्मान और मार्गदर्शन की अहमियत का पता चल सके।महाभारत का युद्ध चल रहा था एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर “भीष्म पितामह” घोषणा कर देते हैं कि – “मैं कल पांडवों का वध कर दूंगा।” उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों के शिविर में बेचैनी बढ़ गई।

भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए। तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो श्री कृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए। शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि – अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम करो।द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह भीष्म को प्रणाम किया तो उन्होंने “अखंड सौभाग्यवती भव” का आशीर्वाद दे दिया , फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि !! “बत्सा तुम इतनी रात में अकेली यहाँ कैसे आई हो? क्या तुमको श्री कृष्ण यहाँ लेकर आये है” ?

तब द्रोपदी ने कहा कि – “हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं” तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दुसरे से प्रणाम किया। भीष्म ने कहा – “मेरे एक बचन को मेरे ही दूसरे बचन से काट देने का काम श्री कृष्ण ही कर सकते है।”

शिविर से वापस लौटते समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि “तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है। अगर तुम प्रतिदिन भीष्म, धृतराष्ट्र, द्रोणाचार्य, आदि को प्रणाम करती होती और दुर्योधन- दुःशासन, आदि की पत्नियां भी पांडवों को प्रणाम करती होंती, तो शायद इस महाभारत के युद्ध की नौबत ही न आती।”

महाभारत के इस प्रसंग से सीख –

वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याएं या परेशानियां हैं उनका भी मूल कारण यही है कि जाने अनजाने में हमसे अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है। इसलिए हमें अपनी गलती का पता चलते ही उनसे माफ़ी मांग लेनी चाहिए। यदि घर के बच्चे और बहुएँ प्रतिदिन घर के सभी बड़ो का सम्मान कर उनका आशीर्वाद लें तो, शायद किसी भी घर में कभी कोई क्लेश न हो।

बड़ों के दिए आशीर्वाद कवच की तरह काम करते हैं उनको कोई “अस्त्र-शस्त्र” नहीं भेद सकता। सभी इस संस्कृति को सुनिश्चित कर नियमबद्ध करें तो घर स्वर्ग बन जाये।

Similar questions