वर्ष २०१९ - वर्षा एक प्राकृतिक आपदा |
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aapda
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varsha ke time bhut kai rajyo me badh aai jisse kuch log mare gye aur kuch log bichhad gye aur dhan ki barbadi hui
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वर्षा एक प्राकृतिक आपदा
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हर साल मानसून के दौरान होने वाली बारिश से जहां लोगों को गर्मी से राहत मिलती है, वहीं देश के कुछ हिस्सों में यह तबाही का कारण भी बनती है. हर साल बिहार, असम, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल बाढ़ की त्रासदी से जूझते हैं तो हिमाचल प्रदेश में बारिश के कारण होने वाला भूस्खलन लोगों की जिंदगी छीन लेता है. लोकसभा में 23 जुलाई, 2019 को दिए जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि 18 जुलाई, 2016 से 18 जुलाई 2019 के बीच देश में भारी बारिश के साथ आने वाले तूफान, बाढ़ और भूस्खलन के कारण 6,585 लोगों की मौत हुई यानी हर साल औसतन 2,000 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी|
बिहार और असम में इस साल बारिश के कारण अब तक 170 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस बार बाढ़ के कारण दोनों राज्यों के करीब एक करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. असम के गोलाघाट जिले में काजीरंगा नेशनल पार्क में 13 जुलाई, 2019 से अब तक 15 गेंडों समेत 204 वन्य जीवों की मौत हो गई. हर साल बारिश के बाद उफनती नदियों के कारण असम और बिहार बुरी तरह प्रभावित होते हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की जारी तस्वीरों में दिख रहा है कि ब्रह्मपुत्र नदी किनारों को तोड़कर बेकाबू हो गई है. इसका पानी भारत और बांग्लादेश के कई इलाकों में घुस गया है और फसल बर्बाद कर रहा है.
बीते तीन साल में सबसे ज्यादा 970 लोगों की मौत बिहार में हुई
दक्षिणी राज्य केरल में 2018 में हुई भारी बारिश के बाद सदी की सबसे भयानक बाढ़ आई. साल 2018-19 में सिर्फ केरल में 477 लोगों की मौत हुई, जो इस दौरान पूरे देश में प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई कुल 2,045 मौतों का 23 फीसदी है. पिछले तीन साल में बिहार में 970, केरल में 756, पश्चिम बंगाल में 663, महाराष्ट्र में 522 और हिमाचल प्रदेश में 458 लोगों की मौत हुई. इन पांच राज्यों में पूरे देश में प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई कुल मौतों में 51 फीसदी लोगों की मौत हुई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 39 लाख आशियाने तबाह हो गए.
इस साल 1 अप्रैल से 18 जुलाई के बीच देश में 496 लोगों की मौत हुई यानी हर दिन औसतन 5 लोगों को बारिश के कारण आई प्राकृतिक आपदा में जान गंवानी पड़ी. इस दौरान महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 137 लोगों की जान गई. वहीं, बिहार में 78 लोगों को जान गंवानी पड़ी. अगर पिछले 64 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पूरे देश में भारी बारिश और बाढ़ के कारण 1,00,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. केंद्रीय जल आयोग की ओर से 19 मार्च, 2018 को राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 1953 से 2017 के बीच भारी बारिश और बाढ़ के कारण देश में 1,07,487 लोगों की मौत हुई|
आयोग के मुताबिक, देश में कम समय में ज्यादा बारिश और खराब जल निकासी व्यवस्था के कारण बाढ़ की समस्या खड़ी होती है. इसके अलावा राज्य सरकारें भी प्रभावी बाढ़ नियंत्रण ढांचा खड़ा करने में नाकाम रही है. देश की 4 करोड़ हेक्टेयर भूमि में भारी बारिश के दौरान बाढ़ आने की सबसे ज्यादा आशंका बनी रहती है. इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 1980 से 2010 के बीच तीन दशक में भारत ने 431 बड़ी प्राकृतिक आपदाओं को झेला है. इनमें लाखों लोगों पर असर पड़ा. हजारों लोगों की मौत हुई और लाखों घर तबाह हो गए. केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, बाढ़ आशंकित क्षेत्र के 48 फीसदी भू-भाग में बाढ़ से सुरक्षा के माकूल उपाय कर दिए गए हैं|