History, asked by aavdeshsingh41, 4 months ago

वर्षन के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए​

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Answered by Ayansiddiqui12
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Explanation:

  • जब वर्षण पानी के रूप में होता है तो उसे वर्षा कहते हैं। उत्पत्ति के आधार पर वर्षा को मुख्यतया तीन प्रकारों में बाँटा जा सकता है- संवहनीय वर्षा, पर्वतीय वर्षा और चक्रवातीय वर्षा। गर्म हवा हल्की होकर संवहनीय धाराओं के रूप में ऊपर उठती है। इससे अल्पकाल के लिये बिजली कड़कने तथा गरज के साथ मूसलाधार वर्षा होती है।

वर्षन के विभिन्न प्रकार

  • संवहनीय वर्षा (Vascular Rain)
  • हवा गर्म हो जाने पर हल्की होकर संवहन धाराओं के रूप में ऊपर की ओर उठती है, वायुमंडल की ऊपरी परत में पहुँचने के बाद यह विस्तृत होती है तथा तापमान के कम होने से ठंडी होती है। परिणामस्वरूप संघनन की क्रिया होती है तथा कपासी मेघों का निर्माण होता है। गरज तथा बिजली कड़कने के साथ मूसलाधार वर्षा होती है, लेकिन यह बहुत लंबे समय तक नहीं रहती है। इस प्रकार की वर्षा गर्मियों में या दिन के गर्म समय में प्रायः होती है। यह विषुवतीय क्षेत्र (Equatorial area) तथा खासकर उत्तरी गोलार्ध के महाद्वीपों के भीतरी भागों में प्रायः होती है।

  • पर्वतीय वर्षा (Mountain Rain)
  • जब संतृप्त वायु की संहति पर्वतीय ढाल पर आती है, तब यह ऊपर उठने के लिए बाध्य हो जाती है तथा जैसे ही यह ऊपर की ओर उठती है, यह विस्तृत होती है, तापमान गिर जाता है तथा आर्द्रता संघनित हो जाती है। इस प्रकार की वर्षा का मुख्य गुण है कि पवनाभिमुख ढाल पर
  • सबसे अधिक वर्षा होती है। इस भाग में वर्षा होने के बाद ये हवाएँ दूसरे ढाल पर पहुँचती हैं, वे नीचे की ओर उतरती हैं तथा उनका तापमान बढ़ जाता है। तब उनकी आर्द्रता धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है एवं इस प्रकार, प्रतिपवन ढाल सूखे तथा वर्षा विहीन रहते हैं। प्रतिपवन भाग में स्थित क्षेत्र, जिनमें कम वर्षा होती है उसे वृष्टि छाया क्षेत्र (Rain shadow area) कहा जाता है। यह पर्वतीय वर्षा या स्थलवृफत वर्षा के नाम से जानी जाती है।

  • चक्रवाती वर्षा (Cyclone rain)
  • जब गर्म और ठंडी वायु (Hot & cool air) आपस में मिलती है तो चक्रवातीय वर्षा होती है वह क्षेत्र जहां वर्म और ठंडी वायु आपस में मिलते है तो वह क्षेत्र वाताग्र (Airy) कहलाता है। इस प्रकार वर्षा प्राय: शीतोष्ण कटिबंध में अधिकांश वर्षा चक्रवातों में होती है।

  • तापमान के कारण गर्म वायु हल्की होकर ऊपर उठती है तथा ठंडी वायु भारी होकर नीचे बैठती है। अत: ऊपर उठने वाली गर्म वायु ठंडी होकर वर्षा करने लगती है। इस प्रक्रिया में, संघनन शीघ्रता से होता है और मेघ गर्जन (Cloud roaring) के साथ तीव्र वर्षा होती है तथा कभी-कभी ओले भी पड़ते हैं। जब गर्म वायु तिरछे रूप में मंदगति से ऊपर उठती है तब संघनन (Condensation) धीरे-धीरे होता है और वर्षा विस्तृत क्षेत्र में तथा अधिक समय तक होती है। उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों द्वारा ग्रीष्म काल में पर्याप्त वर्षा होती है।
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