वर्तमान काल में दान का महत्त्व अपने शब्दों में लिखिए।
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दान ईश्वर की प्रसन्नता में प्रमुख है। अत: ईश्वर की प्रसन्नता के लिए, अपने को उत्कृष्ट बनाने के लिए और समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए हमें जरूरतमंदों की सहायता करनी ही होगी।
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वर्तमान काल में दान का महत्त्व
वर्तमान काल हो या प्राचीन काल दान का महत्व हमेशा रहा है। हर धर्म, हर संस्कृति में दान के महत्व को स्पष्ट किया गया है। वर्तमान काल के संदर्भ में अगर हम देखें तो दान सामाजिक कार्यों से संबंधित होने लगा है। पहले जान धार्मिक उद्देश्य से दिया जाता था और धार्मिक क्रियाकलापों से संबंधित कार्यों के लिए दान दान दिया जाता था अथवा धार्मिक आस्था के कारण दान दिया जाता था। पहले के समय में दान में पुण्य जुड़ा होता था। पुण्य कमाने का लोभ जुड़ा होता था।
वर्तमान समय में दान सामाजिक संदर्भों में दिया जाता है। अब लोग दान करते हैं तो केवल धार्मिक वजह से ही नहीं करते बल्कि किसी भी सामाजिक कल्याण के कार्य हेतु भी दान करते हैं। इसलिए दान का महत्व आज के वर्तमान समय में और अधिक बढ़ गया है, क्योंकि इससे वंचित और जरूरतमंद लोगों को आगे आने में मदद मिलती है।
हर किसी के पास पर्याप्त पैसे नहीं होते। समाज के बहुत से वंचित वर्ग के लोग धन के अभाव में अपने जीवन सुचारू रूप से नहीं चला पाते। उनकी सहायता के लिए ऐसे लोगों को अवश्य आना चाहिए जो समर्थ है।
सच्चा दान वही है जो किसी के काम आ सके। भगवान को दान देने से कोई लाभ नहीं है। भगवान तो स्वयं दाता हैं, वह स्वयं सबको देते हैं। उन्हे दान की क्या जरूरत? उनके धार्मिक स्थानों में दान चढ़ाने की अपेक्षा किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान देना अधिक सार्थक है।