वर्तमान का दशानन यानी भ्रष्टाचार दशहरा पर करें हम इसका संघार पर एक अनुच्छेद लिखिए
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I don't know Hindi. Please write it in English.
"वर्तमान का दशानन यानी भ्रष्टाचार, दशहरा पर करें हम इसका संहार "पर एक अनुच्छेद निम्न प्रकार से लिखा गया है।
दशानन अर्थात रावण, यह रामायण का एक मुख्य पात्र है।
रावण लंका का राजा था, वह एक बड़ा दार्शनिक था, विद्वान था परन्तु एक स्त्री यानी सीता का अपहरण करना उसे भारी पड़ गया।
वह शिव भक्त था, पूजा - पाठ भी बड़े प्रेम से किया करता था। उसके एक कुकर्म के कारण लोग रावण को घृणा से देखते है। रावण के दस मुख थे , इस कारण उसे दशानन भी कहा गया है। दशहरे के दिन श्री राम ने रावण का वध किया था, बुराई पर भलाई की विजय हुई थी।
आज भ्रष्टाचार को दशानन कहा गया है , हमें भी इस दस सिरों वाले भ्रष्टाचार रूपी रावण का संहार करना होगा।
आज देश के हर कोने में भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा चुका है।
बिना रिश्वत के आप कोई सरकारी कार्य पूरा नहीं करवा सकते। चपरासी से लेकर बड़े बाबू तक , सबका हिस्सा जाता है ।
यहां तक कि शिक्षा भी भ्रष्टाचार की बलि चढ़ चुकी है, इसे आधुनिक समाज में " डोनेशन " का नाम दिया गया है।
बच्चे के जन्म से पहले विद्यालय में उसका दाखिला ले लिया जाता है , वो भी रूपये भेंट चढ़ाकर ।
मंदिर में भगवान के दर्शन करने हो तो भगवान दक्षिणा नहीं मांगते परन्तु मंदिर की रखवाली करने वाले पैसे लेकर आपको पंक्ति में सबसे पहले खड़ा करके दर्शनों के लिए जाने देंगे।
भ्रष्टाचार अपना और विकराल रूप धारण करे, इससे पहले ही इस दशानन का सर्वनाश कर देना अति आवश्यक हो गया है।
इस देश की युवा पीढ़ी को जागरुक होने की आवश्यकता है , उन्हें भ्रष्टाचार को समाप्त करना ही होगा।