वर्तमान में इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव के चलते लोग डॉक्टर से इलाज की जगह इंटरनेट पर ही रोग के लक्षण और उपचार देखकर काम चलाने लगे हैं । यह कितना उचित है और कितना अनुचित है इसकी विवेचना करते हुए अपना मत दीजिए।
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अगर आपको भी इंटरनेट को अपना डॉक्टर बनाने की आदत है, तो सतर्क हो जाइए। अपनी बीमारियों या किसी लक्षण के अनुसार ऑनलाइन अपना इलाज ढूंढऩा मानसिक बीमारी का संकेत हो सकता है। चिकित्सकीय भाषा में इस मानसिक बीमारी को साइबर कॉन्ड्रिया या कम्प्यू कॉन्ड्रिया कहा जाता है।
इसे हाइपरकॉन्ड्रिया का आधुनिक स्वरूप माना जाता है, जिसमें व्यक्ति को शक रहता है कि उसे कोई गंभीर बीमारी है। विभिन्न रिसर्च की मानें तो पिछले 10 साल में गूगल पर बीमारियों से संबंधित सर्च करने का चलन काफी बढ़ गया है। प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार दुनिया में तेजी से यह बीमारी बढ़ रही है।
हो सकता है डिप्रेशन
कई बार साइबर कॉन्ड्रिया की समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि बीमारी न होने के बाद भी व्यक्ति इंटरनेट पर अलग-अलग मेडिकल लिटरेचर पढक़र अपने शरीर में बीमारी के लक्षण महसूस करने लगता है। धीरे-धीरे यह स्थिति एक तरह के मनोविकार में बदल जाती है। डॉक्टर्स का मानना है कि ऑनलाइन बताए गए उपायों से लोग अपना इलाज शुरू कर देते हैं और बीमारी बढ़ जाने के बाद डॉक्टर के पास पहुंच
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