वर्तमान में सुरक्षा परिषद सुधार की मांग क्यों कर रही
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द्वितीय विश्व युद्ध के समय की भू-राजनीतिक संरचना
► संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद वर्तमान समय में भी द्वितीय विश्व युद्ध के समय की भू-राजनीतिक संरचना को दर्शाती है।
► परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन को 7 दशक पहले केवल एक युद्ध जीतने के आधार पर किसी भी परिषद के प्रस्ताव या निर्णय पर वीटो का विशेषाधिकार प्राप्त है।
व्यापक विस्तार का अभाव:
► विदित हो कि सुरक्षा परिषद का विस्तार वर्ष 1963 में 4 गैर-स्थायी सदस्यों को इसमें शामिल करने हेतु किया गया था।
► तब 113 देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य थे लेकिन आज इनकी संख्या 193 तक बढ़ गई है, फिर भी आज तक इसका विस्तार नहीं किया गया है।
शक्ति-संतुलन की अनुचित व्यवस्था:
► परिषद की वर्तमान संरचना कम से कम 50 वर्ष पहले की शक्ति संतुलन की व्यवस्था पर बल देती है।
► उदाहरण के लिये यूरोप जहाँ कि दुनिया की कुल आबादी का मात्र 5 प्रतिशत ही निवास करती है, का परिषद में स्थायी सदस्य के तौर पर सर्वाधिक प्रतिनिधित्व है।
अन्य कारण:
► गौरतलब है कि अफ्रीका का कोई भी देश सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है।
► जबकि संयुक्त राष्ट्र का 50 प्रतिशत से अधिक कार्य अकेले अफ्रीकी देशों से संबंधित है।
► पीस कीपिंग अभियानों (peacekeeping operations) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावज़ूद मौजूदा सदस्यों द्वारा उन देशों के पक्ष को नज़रंदाज़ कर दिया जाता है। इसका जीता जागता उदाहरण है भारत।