वर्तमान पिस्थितियों में ऑनलाइन शिक्षा की उपियोगीता पर अपने विचर लिखिए 300 शब्द में
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भारतीय चिंतन परंपरा के अनुसार शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं: व्यक्ति एवं चरित्र निर्माण, समाज कल्याण और ज्ञान का उत्तरोत्तर विकास। ऑनलाइन शिक्षा इन लक्ष्यों की र्पूित कहां तक करती है, इसकी परख जरूरी है। परंपरागत यानी आमने-सामने के कक्षीय पठन-पाठन में विद्र्यािथयों के सामने सिर्फ ज्ञान नहीं उड़ेला जाता है, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से चरित्र निर्माण की प्रक्रिया भी सतत चलती रहती है। कक्षीय परिवेश में सह-अस्तित्व एवं सहयोग, व्यापक साझेदारी, सामूहिकता एवं वैचारिक सहिष्णुता का भाव छात्रों में विकसित होता है।
शिक्षक का आचरण और उसके क्रियाकलाप का छात्रों पर बहुत गहरा असर पड़ता है
इसके साथ-साथ शिक्षक का आचरण और उसके क्रियाकलाप का छात्रों पर बहुत गहरा असर पड़ता है। शैक्षिक परिसर में विविधतापूर्ण सामाजिक-र्आिथक पृष्ठभूमि और विभिन्न विषयों के छात्रों का आपस में अंतरव्यवहार, बहस, विवेचन एवं तर्क-वितर्क व्यक्तित्व के समग्र-संतुलित निर्माण में बड़ी भूमिका निभाते हैं। विभिन्न शिक्षणेत्तर गतिविधियां एवं अन्य क्रियाकलाप व्यक्तित्व निर्माण को पूर्णता की ओर ले जाते हैं।
ऑनलाइन शिक्षा साधक के बजाय बाधक साबित हो सकती है
ऑनलाइन पद्धति में उपरोक्त चीजें नहीं के बराबर अथवा बहुत कम मात्रा में संभव हैं। इसमें विद्यार्थी ज्ञान तो हासिल कर लेगा, लेकिन उसका मनोजगत एक रोबोट की तरह ही यांत्रिक होगा। इंटरनेट और वर्चुअल वर्ल्ड के वर्तमान दौर में पहले ही समाज से कटते जा रहे बच्चों-युवाओं में सोशल स्किल और संतुलित-सम्यक व्यक्तित्व के विकास में ऑनलाइन शिक्षा साधक के बजाय बाधक साबित हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो शिक्षा का प्रथम लक्ष्य यानी व्यक्ति-चरित्र निर्माण का कार्य अपूर्ण ही रहेगा।
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