Hindi, asked by anshul0912anurag, 5 months ago

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मजदूरों की दयनीय दशा का सचित्र वर्णन 100-150 शब्दों में करें।​

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Answered by laxmimahindrakar30
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जागरण संवाददाता, महेन्द्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में एक मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस दो सत्रों के माध्यम से मनाया गया। जिसमें प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता आंद्रे ¨लग ने वैश्वीकरण एवं उदारीकरण: भारत में श्रम और श्रम आंदोलन पर प्रभाव विषय पर एक परिचर्चा की। साथ ही उन्होंने बताया कि 1886 में सर्वप्रथम मजदूरों के शोषण के विरोध में शिकागो में मजदूरों द्वारा मजदूर दिवस को मनाया गया। मुख्य वक्ता ने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स से पर्यावरण विज्ञान के साथ अर्थशास्त्र में उपाधि प्राप्त करने के पश्चात राजस्थान के ग्रामीण इलाके में सामुदायिक विकास की विभिन्न योजनाओं पर 7-8 वर्षों तक काम किया। मुख्य वक्ता अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में अंतरराष्ट्रीय सलाहकार के रूप में ग्रामीण विकास की विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं जिसमें मजदूर की गिरती दशा के कारणों को ध्यान में रखते हुए मजदूर हितों को अध्ययन करना व उनके उपायों पर विचार करना इनका प्रमुख ¨चतन रहा है। इन्होंने विश्वविद्यालय में वैश्वीकरण एवं उदारीकरण भारत में श्रम और श्रम आंदोलन पर प्रभाव पर गहन चर्चा करते हुए विस्तारपूर्वक बताया कि मजदूरों का शोषण हमेशा से होता रहा है, वैश्वीकरण के दौर में पूरा विश्व एक बाजार के रूप में उभर कर आ रहा है ऐसी स्थिति में मजदूर के हितों को ध्यान में रखना तथा उदारीकरण के माध्यम से औद्योगिकरण के विस्तार के दौर में मजदूरों के हितों का हनन नहीं होना चाहिए। मजदूरों के साथ एक दिन में आठ घंटे से अधिक समय तक कार्य करवाना, कम वेतन देना, रोजगार का पक्का न होना एवं कुपोषण, उनके बच्चों की शिक्षा की समस्या आदि समस्याओं पर केंद्रित करते हुए अपने वक्तव्य को गहन ¨चतन के साथ मजदूरों की समस्याओं को बताया। द्वितीय वक्ता डॉ. धीरज कुमार नीते ने औद्योगिक संस्थानों में मजदूरों का भिन्न-भिन्न तरीकों से शोषण किया जाता है, के संदर्भ में विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि भूमण्डलीकरण, उदारीकरण के दौर में उपनिवेशवाद एवं पूंजीवाद के साये में मजदूरों की स्थिति का वर्णन भारतीय संदर्भ में किया तथा उन्होंने बताया कि यूनियन बनाने का अधिकार, मजूदरों के लिए कानून, मजदूर हितों की सुरक्षा, भारत के संदर्भ में बताते हुए नियामगिरी, पोस्तो, मानेसर के औद्योगिक क्षेत्र में विभिन्न मजूदर संगठनों द्वारा किए गए आंदोलनों का जिक्र किया। मारूति सूजुकी कंपनी के मजदूरों द्वारा किए आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मजदूरों को एक होने की आवश्यकता है, तभी उनके शोषण को रोका जा सकता है। भारतीय मजदूर संघ, ¨हदुस्तान मजदूर संघ एवं इंटेक आदि प्रमुख मजदूर यूनियन के बावजूद भी हम क्यों फेल हो रहे है? मजदूरों को लगातार शोषण हो रहा है, जिसे रोकने के लिए मजदूरों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकारों को कार्य करना चाहिए। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में मारूति श्रमिकों के जीवन पर आधारित वृतचित्र दिखाया गया, इसमें वृतचित्र के निदेशक राहुल राय ने फिल्म स्क्री¨नग को भी विस्तार पूर्वक बताया।

कार्यक्रम का मंच संचालन ¨हदी विभाग की शोधार्थी निर्मल ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभाग के छात्र शंकर ने किया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र के समापन पर वरिष्ठ उपाचार्य डॉ. बीर ¨सह ने मा‌र्क्स के द्वारा दिए गए विचारधारा में मजदूरों के हितों के लिए संघर्ष पर बल दिया और दोनों वक्ताओं के वक्तव्यों को सराहते हुए कहा कि वैश्वीकरण के दौर में मजदूरों के हितों का ध्यान रखना चाहिए, तभी हम मानवीय सभ्यता को ध्यान में रखते हुए विकसित समाज की कल्पना कर सकते हैं।

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Answered by Anonymous
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above one is correct answer

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