वर्तमान परिवेश में रीढ़ की हड्डी पाठ कहां तक प्रसांगिक है प्रसांगिक है
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जिस तरह रीढ़ की हड्डी मनुष्य के शरीर को सीधा रखती है , उसी तरह शिक्षित और चरित्रवान युवा पीढ़ी समाज को सीधा रखती है I इसलिए शंकर जैसे युवक को रीढ़विहीन बताया गया है क्योंकि वह कायर एवं परजीवी है I लेखक के विचार इस एकांकी में व्यक्त हुए हैं जो पूर्ण रूप से सही है I
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जिस तरह रीढ की हडडी मनूषय को सीधारखती है। उसी तरह शिक्षित व्यकति भी समाज को सीधा रखता है
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