Hindi, asked by pulkit0077, 2 months ago

वर्तमान सामाजिक हालातों पर बाबा नागार्जुन ने क्या टिप्पणी की है?
It's from बात तो तब है, जब आप भी जाये of class 8th.​

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Answered by AbhishekdreemBOY
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बाबा नागार्जुन की कविताओं को देखकर कहा जा सकता है वो तब जितना प्रासंगिक था उतना ही आज भी है

जहां एक तरफ इन्होंने राजनीति पर पैनी नजर रखी तो वहीं इन्होंने अपने आस पास के बिन्दुओं को उठाया और उन्हें अपनी रचना के धागे में पिरोया. बाबा लिखते हैं कि 'जन-गण-मन अधिनायक जय हो, प्रजा विचित्र तुम्हारी है, भूख-भूख चिल्लाने वाली अशुभ अमंगलकारी है' या फिर 'बापू के भी ताऊ निकले तीनों बन्दर बापू के, सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बन्दर बापू के' इन दोनों ही रचनाओं से साफ है कि हम उनकी कही बातों को हरगिज़ हल्के में नहीं ले सकते.

बात अगर बाबा नागार्जुन की कविताओं पर हो तो चाहे अपने बच्चों को दूध पिलाती मादा सूअर पर बाबा ये कहना हो कि, 'धूप में पसरकर लेटी है/ मोटी - तगड़ी, अधेड़, मादा सूअर... जमना किनारे, मखमली दूबों पर/ पूस की गुनगुनी धूप में/ पसरकर लेटी है/ यह भी तो मादरे हिंद की बेटी है/ भरे - पूरे बारह थनोंवाली ! लेकिन अभी इस वक़्त/ छौनों को पिला रही है दूध/ मन - मिजाज ठीक है/ कर रही है आराम/ अखरती नहीं है भरे - पूरे थनों की खींच - तान/ दुधमुहें छौनों की रग - रग में/ मचल रही है आख़िर माँ की ही तो जान ! जमना किनारे/ मखमली दूबों पर पसरकर लेटी है/ यह भी तो मादरे हिंद की बेटी है ! पैने दाँतोंवाली' हो या फिर पेड़ में लटकता कटहल उन्होंने सब पर लिखा. और इस तरह लिखा जिसे शायद ही कोई कवि कभी सोच पाए. इस बात को समझने के लिए आपको बाबा नागार्जुन की उस कविता को समझना होगा जब वो आसमान में बादल देख रहे थे. नागार्जुन लिखते हैं कि 'छोटे-छोटे मोती जैसे, उसके शीतल तुहिन कणों को, मानसरोवर के उन स्वर्णिम, कमलों पर गिरते देखा है, बादलों को घिरते देखा है'.'

नागार्जुन की एक और खासियत थी वो उन कुछ एक कवियों में हैं, जो अपनी कविताओं से एक पाठक के लिए चुनौती पेश करते हैं. बाबा नागार्जुन की रचनाओं में सबसे अहम पक्ष ये थे कि भले ही वो साहित्य मर्मज्ञों के लिए अपनी कविताओं के जरिए चुनौती पेश करते हों, लेकिन खुद साहित्य में नहीं जीते थे. इस बात को आप मंत्र कविता से बेहतर ढंग से समझ पाएंगे. इस कविता के लिए बाबा ने ॐ को चुना है. बाबा ने ॐ पर लिखा है कि 'ॐ स‌ब कुछ, स‌ब कुछ, स‌ब कुछ ॐ कुछ न‌हीं, कुछ न‌हीं, कुछ न‌हीं' ये पंक्तियां ये बताने के लिए काफी हैं कि, बाबा ईश्वर में आस्था तो रखते थे मगर कभी उसके पीछे लाठी लेकर भागे नहीं

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by AbhishekdreemBOY

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