वर्तमान समाज में नारी का योगदान अनुच्छेद 200 words
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भारत में स्त्रियों को सदैव उच्च स्थान दिया गया है। कोई भी मंगलकार्य स्त्री की अनुपस्थिति में अपूर्ण माना गया हैं। पुरूष यज्ञ करें पत्नी का साथ होना अनिवार्य होता हैं। उदाहरणस्वरूप श्रीराम का अश्वमेध यज्ञ।
Explanation:
स्त्री समाज का दर्पण होती है। यदि किसी समाज की स्थिति को देखना है, तो वहां की नारी की अवस्था को देखना होगा। राष्ट्र की प्रतिष्ठा, गरिमा, उसकी समृध्दि पर नहीं अपितु उस राष्ट्र के सुसंस्कृत व चरित्रवान नागरिकों से हैं और राष्ट्र को, समाज को, ये संस्कार देती है कि स्त्री जो एक माँ हैं, निर्मात्री है। मां अपने व्यवहार से बिना बोले ही बच्चे को बहुत कुछ सिखा देती है। स्त्री मार्गदर्शक हैं वह जैसा चित्र अपने परिवार के सामने रखती हैं परिवार व बच्चे उसी प्रकार बन जाते हैं स्त्री एक प्रेरक शक्ति हैं वह समाज और परिवार के लिए चैतन्य-स्वरूप हैं परंतु वही राष्ट्रीय चैतन्य आज खुद सुषुप्तावस्था में है।
हर महान व्यक्तित्व के पीछे एक स्त्री हैं आज हम सब मिल कर देश व समाज कहां जा रहा है इसकी बाते करते हैं आज के बच्चे कल देश का भविष्य बनेंगे। परंतु यह विचार करना अति आवश्यक हैं कि आज के इस परिवेश में ये नौनिहाल किस नए भविष्य को रचने की कोशिश करने में लगा हुआ हैं हम सब एक-दूसरे पर दोषारोपण करते हैं क्या सच में ऐसा है? इसी पर आज के परिवेश में जो चिंतन करने की आवश्यकता है और इस सबके लिए स्त्री जो एक मां है का दायित्व अधिक बढ़ जाता है इसलिए स्त्री संस्कारित होगी, तो बच्चों में वह संस्कार स्वतः ही आ जाएंगेक्योंकि अगर वह अपने घर में एक स्वस्थ माहौल देखेंगे तो उसे अपने आचरण में उतारेंगे।
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