वर्तमान समय की पर्यावरण से सम्बदधित विभिन्न मुद्दों की चर्चा कीजिये
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प्रमुख समस्यायें
जल प्रदूषण
वायु प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण
भूमि प्रदूषण
जनसंख्या वृद्धि और पर्यावरण की गुणवत्ता
Explanation:
जल प्रदूषण
जल प्रदूषण, से अभिप्राय जल निकायों जैसे कि, झीलोंं, नदियों, समुद्रों और भूजल के जल के संदूषित होने से है। ... जल प्रदूषण का मुख्य कारण मानव या जानवरों की जैविक या फिर औद्योगिक क्रियाओं के फलस्वरूप पैदा हुये प्रदूषकों को बिना किसी समुचित उपचार के सीधे जल धारायों में विसर्जित कर दिया जाना है।
जल प्रदूषण के मुख्य प्रभाव - 1- जलीय जन्तुओं में आक्सीजन की कमी । 2- प्रदूषित जल से सिचाई करने पर फसलों को नुकसान । 3- जल प्रदूषित रोग पीलिया, हिपेटाइटिस, डायरिया आदि रोग हो सकते हैं। 4- हृदय , फेफड़े , गुर्दा , मस्तिष्क आदि से सम्बन्धित रोग हो सकते है।
वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ, या जैविक पदार्थ के वातावरण में, मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। वायु प्रदूषण के कारण मौतें और श्वास रोग होते हैं।
जो वायु में धुंए, कोहरे और नमी का मिश्रण होता है। स्मॉग में कोहरे, धूल और वायु प्रदूषक जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड, ज्वलनशील कार्बनिक यौगिक आदि हानिकारक मिश्रण रहते हैं। इनसे खांसी, गले और छाती में जलन, त्वचा रोग, फेफड़ों के संक्रमण, आंख व नांक में एलर्जी एवं शरीर की रक्षा प्रणाली कमजोर होती है।
ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण या अत्यधिक शोर किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को कहते हैं, जिससे मानव और जीव जन्तुओं को परेशानी होती है। इसमें यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर मुख्य कारण है। ... अत्यधिक शोर से सुनने की शक्ति भी चले जाने का खतरा होता है।
दीर्घ अवधि तक ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों में न्यूरोटिक मेंटल डिसार्डर हो जाता है। उच्च शोर के कारण मनुष्य को उच्च रक्तचाप, उतेजना, हृदय रोग, आंख की पुतलियों में खिंचाव, मानसिक तनाव व अल्सर जैसे रोग हो सकते हैं।
भूमि प्रदूषण
भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई भी अवाछिंत परिवर्तन, जिसका प्रभाव मनुष्य तथा अन्य जीवों पर पड़ें या जिससे भूमि की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो भू-प्रदूषण कहलाता है । ... पोषकता बढ़ाने के लिए मानव इसमें रासायनिक उर्वरकों को एवं कीटनाशकों का जमकर इस्तेमाल कर रहा है ।
जनसंख्या वृद्धि और पर्यावरण की गुणवत्ता
जनसंख्या की वृद्धि से पर्यावरण की समस्याएं
(1) पर्यावरण की गुणवत्ता में गिरावट आती है। (2) भोजन तथा खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। (3) कृषि के उत्पादन के लिए रासायनिक खादों का उपयोग करने तथा कृषि के पौधों की बीमारियों के लिए दवाओं का प्रयोग भी पर्यावरण में प्रदूषण करता है।
टिप्पणी तेजी से बढ़ती जनसंख्या द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग करने के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है। इस अत्यधिक दोहन का नतीजा मृदा, जैव विविधता में कमी और भूमि, वायु और जल स्रोतों के प्रदूषण के रूप में दिखायी पड़ रहा है।
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