वर्तमान समय में किस क्रांति ने भूगोल को नया आयाम दिया
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- 1950 के बाद भौगोलिक विषय सामग्री को सुचारु रूप से समझने के लिये सांख्यिकीय एवं गणितीय तकनीकों के प्रयोग में आई क्रांति को भूगोल में मात्रात्मक क्रांति कहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य भूगोल को वैज्ञानिक रूप देना था।
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- भूगोल का वर्णनात्मक विषय से वैज्ञानिक एवं विश्लेष्णात्मक विषय में परिवर्तन।
- भौगोलिक तत्त्वों के स्थानिक वितरण को तर्कसंगत, वस्तुनिष्ठ तथा प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करना।
- साहित्यिक भाषा के स्थान पर गणितीय भाषा का प्रयोग करना, जैसे कोपेन ने विश्व की जलवायु के वर्गीकरण में उष्ण कटिबंधीय वर्षा जलवायु के लिए ‘Af’ अक्षर का प्रयोग किया।
- स्थानिक भाषा के लिये सुनिश्चित जानकारी देना।
- मॉडलों, सिद्धांतों एवं नियमों का निर्माण करना, परिकल्पनाओं का निरीक्षण करना तथा अनुमान लगाना एवं भविष्यवाणी करना।
- संसाधनों के उचित उपयोग द्वारा अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिये विभिन्न आर्थिक गतिविधियों हेतु अनुकूलतम स्थिति की पहचान करना।
- भूगोल को ठोस सैद्धांतिक एवं दार्शनिक आधार प्रदान करना ताकि इसे एक वैज्ञानिक विषय बनाया जा सके।
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वर्तमान समय में भूगोल को मात्रात्मक क्रान्तिने बदला हैं.
- मात्रात्मक क्रांतिके प्रयोग से भूगोल को विज्ञान के करीब कर दिया है क्योकि मात्रात्मक क्रांतिने भूगोल में गणितीय तकनीकी को पेश किया.
- मात्रात्मक क्रांति ने सांख्यिकीय उपकरणों जैसे कि डिग्री, दर, आदि का उपयोग करके बेहतर भू-आकृति विकास और ढलान विकास को समझने में मदद की.
- इसने उन सिद्धांतों की आलोचना करने में भी मदद की जो भौतिकी के नियम का पालन नहीं करते हैं. उदाहरण के लिए, वेगनर के महाद्वीपीय बहाव सिद्धांत में जो बल थे वो वैज्ञानिक दृष्टि से सही नहीं थे इसके कारण आलोचना की गई थी.
- प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत भी सटीक नहीं है क्योंकि यह भौतिक नियम का पालन नहीं करता है.
- इसके अलावा, जलवायुविज्ञान, कृषि भूगोल, आर्थिक भूगोल, और जनसंख्या भूगोल जैसे विषयोंमें भी मात्रात्मक क्रांति का प्रयोग महत्वपूर्ण साबित हुआ है.
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