वर्तमान समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कौन कौन से प्रभाव देखे जा सकते हैं? सूचि बनाइए।
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विदेशों में भारतीय संस्कृति
31 May 2012 3:58 PM उगता भारत ब्यूरो



एशिया महाद्वीप में भारतवर्ष की भागोलिक स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है। एशिया के दक्षिण में भारतवर्ष फेेला हुआ है। प्राचीनकाल से एशिया के प्रमुख सांस्कृतिक केन्द्रों से भारतवर्ष का संबंध रहा है। वस्तुत: एशिया की समृद्घि और उदय का भारतीय इतिहास से बहुत घनिष्टï संबंध रहा है। संपूर्ण एशिया के इतिहास और संस्कृति पर भारत का बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा।
प्राचीन संबंध-
संसार में पाश्चात्य विद्वानों के मत से मेसोपोटामियां की सुमेर और अक्कदी संस्कृतियां एवं मिश्र में नील नदी की घाटी की संस्कृति सबसे पुरानी है। भारतवर्ष में सिंधु प्रदेश की सभ्यता भी इन्हीं की समकालीन थी। मेसोपोटामियां के उर और अन्य नगरों में सिंधु सभ्यता के कारीगरों की बनाई हुई सुंदर कलापूर्ण वस्तुएं मिली हैं। मिश्र के प्राचीन सुरक्षित शवों (ममियों) पर भी भारत की महीन मलमल लपेटी हुई है। प्राचीन संसार को कपास और रूई के वस्त्र भारत की ही देन है। प्राचीन समुद्री व्यापार के उल्लेख हमें वैदिक साहित्य और रामायण में मिलते हैं। महाभारत में तो विदेशों से आवागमन और व्यापार का बहुत विशद वर्णन है। जातककथाओं में बावेरू (बेबीलोन) में भारतीय व्यापारियों के जाने का धन कमाने का उल्लेख है।
एशिया महाद्वीप में भारतवर्ष की भागोलिक स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है। एशिया के दक्षिण में भारतवर्ष फेेला हुआ है। प्राचीनकाल से एशिया के प्रमुख सांस्कृतिक केन्द्रों से भारतवर्ष का संबंध रहा है। वस्तुत: एशिया की समृद्घि और उदय का भारतीय इतिहास से बहुत घनिष्टï संबंध रहा है। संपूर्ण एशिया के इतिहास और संस्कृति पर भारत का बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा।
प्राचीन संबंध-
संसार में पाश्चात्य विद्वानों के मत से मेसोपोटामियां की सुमेर और अक्कदी संस्कृतियां एवं मिश्र में नील नदी की घाटी की संस्कृति सबसे पुरानी है। भारतवर्ष में सिंधु प्रदेश की सभ्यता भी इन्हीं की समकालीन थी। मेसोपोटामियां के उर और अन्य नगरों में सिंधु सभ्यता के कारीगरों की बनाई हुई सुंदर कलापूर्ण वस्तुएं मिली हैं। मिश्र के प्राचीन सुरक्षित शवों (ममियों) पर भी भारत की महीन मलमल लपेटी हुई है। प्राचीन संसार को कपास और रूई के वस्त्र भारत की ही देन है। प्राचीन समुद्री व्यापार के उल्लेख हमें वैदिक साहित्य और रामायण में मिलते हैं। महाभारत में तो विदेशों से आवागमन और व्यापार का बहुत विशद वर्णन है। जातककथाओं में बावेरू (बेबीलोन) में भारतीय व्यापारियों के जाने का धन कमाने का उल्लेख है।