वर्तमान शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता और नैतिकता में कमी
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Explanation:
यह एक सत्य कथन है, कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली प्राचीन शिक्षा प्रणाली से काफी भिन्न है। परंतु इसका तात्पर्य यह कतई नहीं है की प्राचीन शिक्षा प्रणाली से आधुनिक शिक्षा प्रणाली प्रत्येक क्षेत्र में बेहतर है।
आधुनिक शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता एवं नैतिकता में अत्यधिक कमी आई है।
गुणवत्ता के क्षेत्र में देखें तो आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सभी छात्रों को प्रत्येक विषय की लिखित नोट्स की आवश्यकता होती है वही प्राचीन शिक्षा प्रणाली में सभी छात्र सारे विषय अपने मन मस्तिष्क में सीधे अधिग्रहित करते थे।
आधुनिक शिक्षा प्रणाली की नैतिकता देखे तो नैतिकता के क्षेत्र में तो यह प्राचीन शिक्षा प्रणाली से काफी पीछे हैं।
प्राचीन शिक्षा प्रणाली में शिक्षक को गुरु का स्थान दिया जाता था एवं हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि ने कहा है,
"गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय।
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो मिलाय।"
आधुनिक शिक्षा प्रणाली में गुरु को गुरु न मानकर एक टीचर का स्थान दिया गया है।
आधुनिक शिक्षा प्रणाली में अध्यापन कार्य को एक व्यवसाय के रूप में परिवर्तित कर लिया गया है।
Answer:
आज के समय में शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता और नैतिकता में कमी आ रही है , हम इस बात को झूठ नहीं मान सकते है |
आज की शिक्षा प्रणाली में शिक्षा, शिक्षा नहीं रही है | यह एक दिखावा और व्यापार और एक रेस की तरह बन गया है | बच्चों के मन में यही चलता रहता है मेरे सबसे ज्यादा अंक और किसी के नहीं| बच्चों से लेकर उनके माता-पिता के मन में दूसरों के प्रति जलन भावना है हमारा बच्चा पीछे ना रह जाए | गुणवत्ता और नैतिकता तो रह ही नहीं गई है | कोई किसी भी मदद और बात नहीं करना चाहता | आपस में कोई मिलकर रहना नहीं चाहता | सब आगे बढ़ने में लगे है | एक दूसरे को आगे बढ़ते नहीं देख सकते | दया ,भावना , प्यार सब खत्म हो गया है ,आगे बढ़ने की चक्कर में |