वर्तमान शताब्दी में भारत की प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियों पर निबंध
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प्राचीन समय से लेकर आधुनिक काल तक भारत के वैज्ञानिक और उनकी खोज सारे विश्व को ज्ञान की राह दिखाते रहे हैं। चाहे शुन्य के आविष्कार की बात रही हो या फिर महत्वपूर्ण गणितीय और ज्योतिषीय विचारों की, भारत का नाम इन सभी के साथ उनके साथ सहज रूप से जुड़ा रहता है|
प्राचीन काल में चरक, सुश्रुत, आर्यभट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, नागार्जुन एवं भास्कराचार्य जैसे विश्वविख्यात वैज्ञानिकों से लेकर आधुनिक युग में जगदीश चंद्र बोस, श्रीनिवास रामानुजन, चंद्रशेखर वेंकट रामन, मेघनाद साहा, सत्येन्द्र नाथ बसु जैसे महान वैज्ञानिक पैदा हुए जिन्होंने तमाम असुविधाओं से लड़कर नए-नए खोज कर सारी दुनिया में भारत का झण्डा लहराया।
इस भाग में हम आपका परिचय भारत के महान वैज्ञानिकों से करवा रहे हैं| यहाँ हम उनके जीवन, खोजों और विचारों को जानेंगे। यहाँ पर भारत के उन सभी महत्वपूर्ण वैज्ञानिकों और उनके शोध/आविष्कारों आदि को समाहित किया गया है, जिसके द्वारा उन्होंने देश-दुनिया में भारत का नाम रौशन किया है।
पी॰ सी॰ महालनोबिस
जन्म: 29 जून, 1893, कोलकाता, बंगाल मृत्यु: 28 जून, 1972, कोलकाता, पश्चिम बंगाल कार्यक्षेत्र: गणित, सांख्यिकी शिक्षण संस्थान: प्रेसीडेंसी कालेज,...
वैज्ञानिक
राजा रमन्ना
जन्म: 28 जनवरी, 1925, तिप्तुर, तुमकूर, कर्नाटक मृत्यु: 24 सितम्बर 2004, मुंबई, महाराष्ट्र कार्यक्षेत्र: परमाणु वैज्ञानिक, भारत के परमाणु कार्यक्रम...
वैज्ञानिक
शान्ति स्वरूप भटनागर
जन्म: 21 फ़रवरी 1894, शाहपुर, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान में) मृत्यु: 1 जनवरी 1955, नई दिल्ली, भारत शिक्षा: विज्ञान में...
वैज्ञानिक
हरगोविंद खुराना
जन्म: 9 जनवरी 1922, रायपुर, मुल्तान (अब पाकिस्तान में) मृत्यु: नवम्बर 9, 2011, कॉनकॉर्ड, मैसाचूसिट्स, अमरीका कार्यक्षेत्र: मॉलीक्यूलर बॉयोलॉजी संस्थाएँ: ...
वैज्ञानिक
बीरबल साहनी
जन्म: 14 नवम्बर 1891, शाहपुर (अब पाकिस्तान में) मृत्यु: 10 अप्रैल 1949, लखनऊ, उत्तर प्रदेश कार्यक्षेत्र: पुरावनस्पती शास्त्र डॉ बीरबल...
वैज्ञानिक
आर्यभट्ट
जन्म: 476 कुसुमपुर अथवा अस्मक मृत्यु: 550 कार्य: गणितग्य, खगोलशाष्त्री आर्यभट्ट प्राचीन समय के सबसे महान खगोलशास्त्रीयों और गणितज्ञों में...
वैज्ञानिक
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
जन्म: 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु मृत्यु: 27 जुलाई, 20 15, शिलोंग, मेघालय पद/कार्य: भारत के पूर्व राष्ट्रपति उपलब्धियां: एक...
राजनेता
सुब्रमन्यन चंद्रशेखर
जन्म: 19 अक्टूबर 1910 मृत्यु: 21 अगस्त 1995 उपलब्धियां: ‘चंद्रशेखर लिमिट’ की खोज, 1983 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सुब्रमन्यन चंद्रशेखर 20वीं...
वैज्ञानिक
सत्येन्द्र नाथ बोस
जन्म: 1 जनवरी 1894, कोलकाता मृत्यु: 4 फ़रवरी 1974 उपलब्धियां: “बोस-आइंस्टीन सिद्धांत’, उनके नाम पर एक उपपरमाण्विक कण बोसॉन को नाम दिया गया, “पद्म भूषण...
वैज्ञानिक
एम. विश्वेश्वरैया
जन्म: 15 सितंबर 1860, चिक्काबल्लापुर, कोलार, कर्नाटक कार्य/पद: उत्कृष्ट अभियन्ता एवं राजनयिक भारतरत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या (एम. विश्वेश्वरैया) एक प्रख्यात...
वैज्ञानिक
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भारत की प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियां
आवश्यकता आविष्कार की जननी है । मानव-सभ्यता जैसे जैसे उन्नति के उच्च शिखर पर चढ़ती जाती है, मनुष्य की आवश्यकताओं का क्षेत्र भी उसी मात्रा में विशाल होता जाता है ।
असंतोष जीवन का दूसरा नाम है, इस कारण मनुष्य अपनी वर्तमान परिस्थिति में संतुष्ट न रहकर नित्य-नवीन सुख की कल्पना करता है । जहाँ कल का मनुष्य अपने को पैदल यात्रा या कार अथवा रेल की यात्रा से बढ़कर वायुयान के आनंद को ही सर्वोपरि समझ रहा था, वहाँ अब ‘मंगल ग्रह’ की रॉकेट-यात्रा की केवल बातें ही नहीं हो रहीं हैं बल्कि भावी यात्रा के लिए रॉकेट में स्थान भी सुरक्षित किए जा रहे हैं ।
विज्ञान ने मानव जीवन के संकटों को बहुत कम कर दिया है । कुक्कुरखाँसी के लिए भी अब तक कोई प्रभावशाली उपचार न था । राष्ट्र के कितने होनहार भावी नागरिक इस भीषण रोग के शिकार होकर अल्पावस्था में ही काल गाल में समा जाते थे । अब ‘एरोस्पोरिन’ नामक पदार्थ से इस रोग को काफी मात्रा में दूर किए जा सकता है । यह ‘एंटीबॉयोटिक’ पदार्थ इंग्लैंड के ‘सरे’ नामक स्थान की मिट्टी में उपलब्ध है ।
मिट्टी से रोग दूर करने के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग हो रहे हैं । ‘क्लोरोमाइस्टीन’ जैसी उपयोगी औषध का निर्माण भी वेनेजुएला के एक खेत की मिट्टी से हुआ । छुतैले द्रव्यों से होनेवाले जुकाम, इन्फ़्लुएंजा, पीला बुखार आदि रोगों के उपचार के लिए भी मिट्टी पर प्रयोग हो रहे हैं और सफलता भी प्राप्त हुई है ।
कैंसर के रोगी जब असाध्यावस्था में पहुँचकर पीड़ा से तड़पने लगते हैं, उस समय इस पीड़ा से मुक्त करने के लिए उन्हें ‘मार्फीन’ के इंजेक्शन दिए जाते थे । इस मार्फीन का निर्माण ‘अफीम’ से हुआ है । इसी उद्देश्य के लिए अफीम से एक ओर ‘मेटापोन’ नामक ओषधि का निर्माण किया गया है, जो मार्फीन से अधिक शक्तिशाली है । अब तक कैंसर को दूर करने के लिए रेडियम की किरणों से ही काम चलाया जाता था, किंतु अब यही कार्य उससे भी अधिक शक्तिशाली कोबाल्ट किरणों से लिया जाता है ।
उन्हें ‘रेडियम तोप’ भी कहते हैं । रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रोफेसर कोचेरजिन का कहना है कि इस नए परीक्षणवाली रेडियम तोप से कैंसर दूर हो सकता है । स्वीडन के एक डॉक्टर ने कैंसर का टीका खोजने में सफलता पाने का दावा किया है । कृत्रिम हृदय, मनुष्य को कुछ देर के लिए ‘मारकर’ जिंदा कर लेना तथा परखनली (टेस्ट ट्यूब) में कई सप्ताहों तक मानव-भ्रूण को जीवित रखने के सफल प्रयोग चिकित्सा-क्षेत्र में विज्ञान की कुछ आश्चर्यजनक उपलब्धियाँ हैं ।
वाहन अथवा आवागमन के साधनों में भी सुधार हो रहा है । जर्मनी के डॉ. एलबर्ट साइमन संसार का सबसे बड़ा विमान बनाने में अंशत: सफल हो गए हैं । वह इतना बड़ा होगा कि उसमें चार सौ यात्री एक साथ यात्रा कर सकेंगे । इस विमान द्वारा हवाई यात्रा काफी सरल हो जाएगी । संयुक्त राज्य अमेरिका की एक कंपनी ने सरल उड़नखटोला भी बनाया है, जिसको २० मिनट सीखने के बाद कोई भी चला सकता है । यह न केवल १४० किलोग्राम वजन ढो सकता है वरन् १०४ किलोमीटर प्रति घंटा की गति से २४० किलोमीटर तक निरंतर उड़ सकता है । पोर्सिलीन या चीनी मिट्टी का उपयोग धातु पर लेप के समान किया जाएगा । इससे उसकी गति में वृद्धि होगी । बर्लिन की एक कंपनी ने पानी में चलनेवाला प्लास्टिक का स्कूटर बनाया है । इसमें एक सिलिंडर है और इसकी शक्ल अंडाकार है । यह एक घंटे में १० मील चल मकता हें ।
वैसे ३५ मील दूर तक के मकान भी उससे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं ।मानवजाति अब ‘अंतरिक्ष युग’ में रह रही है, जिसमें मंगल या अन्य ग्रहों की यात्राएँ असंभव अथवा कल्पनातीत नहीं रह गई हैं । रूस के यूरी गागरिन और टीटोव तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के कर्नल ग्लेन और बाद की सफल अंतरिक्ष-यात्राएँ इस बात की साक्षी हैं, किंतु ये अंतरिक्ष-यात्राएँ अति शक्तिशाली रॉकेटों द्वारा संभव हो सकी हैं, जो पृथ्वी की आकर्षण-शक्ति को बेधकर बाह्य अंतरिक्ष में पहुँच जाते हैं और पृथ्वी की परिक्रमा करके पूर्व-निर्देशित स्थान पर वापस आ जाते हैं ।
इधर संयुक्त राज्य अमेरिका ने रॉकेट-ट्यूबों का निर्माण करना प्रारंभ कर दिया है । इन ट्यूबों द्वारा अंतरिक्ष यान-चालकों को चंद्रमा पर भेजा जाएगा । जो भी हो, विज्ञान की प्रगति के क्षेत्र में मानव की यह सबसे बड़ी सफलता है, जो सारा इतिहास ही बदल देने के लिए काफी है ।
यद्यपि वैज्ञानिकों ने मानव-कल्याण के लिए खोजी गई शक्तियों को भी संहारक का रूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, तथापि मानवीय प्रकृति संहार की अपेक्षा निर्माण की ओर अधिक झुकती है । यही कारण है कि अब अणु-शक्ति से मानवता के विनाश की अपेक्षा लगभग सब देश-कुछ को छोड़कर-लोक-कल्याण पर अधिक बल दे रहे हैं ।