वर्तमान युग में महिलाओं का योगदान पर एक निबंध 3 parahgraph में
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कल महिलाओं का नौकरी करना एक साधारण बात है 50 वर्ष पूर्व यह एक बड़ी घटना थी सदियों से पूर्व से घर के भरण-पोषण का उत्तरदायित्व संभालता रहा है नारी को केवल यही सिखाया जाता रहा है कि तुम एक अच्छी मां अच्छी बहन और अच्छी पत्नी बनो इसी में तुम्हारा जीवन सार्थक है बाहर के जीवन से तुम्हें कुछ लेना देना नहीं है इसलिए शिक्षा से भी तुम्हारा कोई वास्ता नहीं है महिलाएं इस घरेलू दायित्वों को दीर्घकाल से निभाती रही है वह घर के चार दीवारों में बंद रही हैं इनाम स्वरूप उनका बाहरी जीवन से संपर्क टूट गया स्वामी दयानंद सरस्वती राजा राममोहन राय महात्मा गांधी आदि के प्रयासों के परिणाम स्वरूप महिलाओं का संपर्क * विश्व से जुड़ा स्वतंत्रता आंदोलन की अवधि में महिलाओं का सामाजिक सरोकार बड़ा धीरे-धीरे नारी शिक्षा पर जोर दिया गया शिक्षा से चेतना जागृत हुई महिलाओं में आत्मविश्वास जागा परिणाम स्वरुप वह पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर अर्थ अर्थ उपार्जन के क्षेत्र में आ गई ,
वर्तमान में देश में प्रगतिशील समाज की महिलाएं नौकरी करने में गर्व अनुभव करती हैं उनकी कार्यशैली नया सिद्ध कर दिया कि महिलाएं पुरुषों से अधिक कुशल ईमानदार और जिम्मेदार कर्मचारी हैं जिन स्थानों पर महिलाएं पद आसीन है वहां भ्रष्टाचार और बेईमानी बहुत कम है स्वभाव से कोमल होने के कारण वे न तो रिश्वत की ओर आकृष्ट होती है और ना किसी को व्यर्थ में ही परेशान करती हैं यही कारण है कि जनसंपर्क से जुड़ी नौकरियों में महिलाओं का आर्थिक प्राथमिकता दी जाती है जहां तक योग्यता का बात है महिलाओं ने कर्म के सभी क्षेत्रों में नाम अर्जित किया है शिक्षा चिकित्सा सामाजिक कार्य आदि क्षेत्रों में तो वे प्रारंभ से ही श्रेष्ठ मानी जाती हैं और आज की महिलाओं ने तो पुलिस थल सेना वायु सेना जल सेना के तांत्रिक क्षेत्र में भी वकील पत्रकार राजनीति मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में भी श्रेष्ठ सिद्ध कर दी है ,
महिलाओं द्वारा नौकरी करने के अनेक लाभ हुए हैं सबसे बड़ा लाभ नारी सम्मान का हुआ है आज तक आर्थिक दृष्टि से पुरुष पर आश्रित रहने के कारण महिलाओं की निजी पहचान न थी घर के सभी निर्णय पर जबरदस्ती पिता का कब्जा होता था महिलाएं भी बस्ती नौकरी करने से उसे स्वतंत्र व्यक्तित्व मिला जब परिवार चलाने में उसका बराबर का सहयोग होता है अब उसकी पहचान पत्नी के रूप में नहीं बल्कि जीवनसंगिनी के रूप में विकसित होने लगी है महिलाओं की नौकरी करने से समाज की शक्ति बढ़ गई है जो महिलाएं घर के चारदीवारी में कैद रहकर अपनी प्रतिभा का गला घोट रही थी अब उस प्रतिभा का सदुपयोग होने लगा है पूरा समाज महिलाओं की क्षमता से लाभान्वित हुआ है महिलाओं के नौकरी में आने से कार्यालय की कार्यकुशलता में सुधार हुआ है समाज में आर्थिक समृद्धि बढ़ी है अता पता चलता है कि प्रस्तुत विवेचन से स्पष्ट है कि महिलाओं की नौकरी करना उचित है इससे होने वाली समस्या लाभ की तुलना में नगण्य ही है इन समस्याओं को भी संतुलित उपायों द्वारा ठीक किया जा सकता है यदि पूर्व सहयोगी रुख अपनाए तो घर गृहस्ती सुचारु रुप से चल सकती है इसे महिलाएं स्वावलंबी बनती है उनमें आत्मविश्वास उत्पन्न होता है और महिलाओं के व्यक्तित्व का विकास होता है समाज के प्रति गतिशीलता में वृद्धि होती है इसे स्पष्ट है कि अगर किसी की मां पड़ती है किसी की भाभी पड़ती है किसी की बहन पड़ती है तो सामने वाली पीढ़ियां भी ज्यादा जिम्मेदार होंगी ज्यादा आगे बढ़ पाएंगे मतलब अगर आप किसी की मां को सिर्फ घर चले चौके के अंदर बिठा के रख दीजिएगा तो पड़ोसियों की बातें सुनकर व अपने बच्चों पर दबदबा बनाए अपने बच्चों की कार्यकुशलता को एकदम नगर ने रूप से मिटाने की कोशिश कर जाएगी वह सिर्फ डॉक्टर और डॉक्टर वकील और इंजीनियरिंग की दुनिया से उनका कोई लेना-देना नहीं होगा उन्हें और ज्यादा कार्यकुशलता के बारे में और भी काम उपस्थित है इस दुनिया में इस बारे में पता ही नहीं चल पाएगा इसलिए स्त्रियों को पढ़ाना अत्यंत आवश्यक है या अनिवार्य रूप से होना चाहिए होना चाहिए हमें भी और हमें जागृत करना चाहिए जिन लोगों से मिले हमारे आसपास पर सर्वप्रथम कदम बढ़ाना चाहिए