वरशन कैसे होता है वर्शन के विभिन्न रूपों के बारे में बताइए
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¿ वर्षन कैसे होता है वर्षन के विभिन्न रूपों के बारे में बताइए।
✎... वर्षण से तात्पर्य उस प्राकृतिक एवं भौगोलिक प्रक्रिया से है, जब जल तरल बूंदो के रूप में या ठोस हिम के कणों के रूप में धरातल पर गिरता है अर्थात जल का बूंदों के रूप में या हिमकणों आदि के रूप में धरातल पर गिरने को ही वर्षण कहा जाता है।
जब वायु में संघनन के कारण जलबिंदुओं या हिमकणों पर का भार अत्याधिक हो जाता है, और उनका आकार बड़ा हो जाता है तो वह स्वयं को रोक नहीं पाते और पृथ्वी के धरातल पर गिरने लगते हैं, इसी क्रिया को वर्षण कहा जाता है।
वर्षण के कई रूप होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं...
- फुहार : जब छोटी-छोटी बूंदें जिनका व्यास 0.5 मिलीमीटर से कम हो, वे धरातल पर गिरती हैं, तो उन्हें फुहार कहते हैं।
- वर्षा : जब जल की तरल बूंदे जो फुहार के रूप में धरातल पर गिरती है, वे बूंदे आकार में थोड़ी बड़ी हो जाती हैं, तो वह वर्षा का रूप धारण कर लेती हैं।
- पाला या हिमपात : जब तापमान 0 डिग्री से माइनस (–) से होने के कारण वायुमंडलीय आद्रता हिम के कणों में बदल जाती है और यह छोटे-छोटे कण मिलकर धरातल पर हिमपात के रूप में गिरने लगते हैं। इस तरह के वर्णण को हिमपात कहते हैं। इस तरह का वर्षण ठंडे प्रदेशों विशेषकर हिमालय या बर्फीले पहाड़ी प्रदेशों में शीतकाल की ऋतु के दौरान होता है।
- सहिम वर्षा : वह वर्षण होता है, जब वायु की ठंडी परत से गुजरती हुई पानी की बूंदे जमकर ठोस होकर पानी की बूंदे छोटी-छोटी गोलियों के रूप में धरातल पर गिरती हैं।
- ओला : जब बर्फ का कोई छोटा टुकड़ा जिसका व्यास 5 से 50 मिलीमीटर के बीच होता है, छोटे-बड़ों हिम के टुकड़ों के रूप में धरातल पर गिरता है तो उसे ओला कहते हैं।
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