Hindi, asked by himanshu251922, 3 months ago

वरदान कविता में क्या कवि व्यक्तियों से भयभीत है​

Answers

Answered by Anonymous
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Answer:

सत्य और संकल्प के अंतर्संबंध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

ANSWER:

सत्य और संकल्प में भक्त और भगवान के समान संबंध है। जैसे भक्त के बिना भगवान और भगवान के बिना भक्त का कोई अस्तित्व नहीं होता, वैसे ही सत्य के मार्ग में बढ़ते हुए यदि मनुष्य में संकल्प शक्ति की कमी है, तो सत्य तुरंत दम तोड़ देता है। सत्य का मार्ग बहुत कठिन और संघर्ष युक्त है। सत्य का आचरण करना लोहे के चने चबाने के समान है। इस पर चलते हुए विरोधों तथा विरोधियों का सामना करना पड़ता है। लोगों की प्रताड़ना तथा उलाहनाओं को भी झेलना पड़ता है। आज के युग में लोग अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए अधर्म तथा अनीति का सहारा लेते हैं। ऐसे में सत्य के लिए कोई स्थान नहीं है क्योंकि अधर्म तथा अनीति में असत्य फलता-फूलता है। परन्तु जो लोग दृढ़ संकल्प होकर इस मार्ग में बढ़ते हैं, सत्य का परचम वहाँ सदैव लहराता रहता है। उनके रहते सत्य दिनोंदिन प्रगति करता हुआ अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करता है। अत: सत्य और संकल्प में घनिष्ट संबंध है।

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