Hindi, asked by harshinireddy6061, 1 year ago

vartalap essay in hindi​

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Answered by ripusingh0189
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वार्तालाप की कला ऐसी कला है जिससे आप किसी व्यक्ति की बातचीत सुनकर आप उसके विचारों तथा भावनाओं का ही नहीं, नैतिक अवस्था का भी अनुमान लगा सकते हैं। जैसे हम वर्षा-मापक यन्त्र से वर्षा को माप सकते है, उसी प्रकार बातचीत के मापदण्ड से व्यक्तित्व भी मापा सकते है।

वार्तालाप को एक कला माना गया हैं। जो लोग इस कला से अनजान हैं, वे न तो अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं, और न ही अपने व्यापार में सफल हो सकते हैं। अच्छे अध्यापक, अच्छे माता-पिता, अच्छे मित्र, अच्छे दुकानदार, अच्छे सेवक और अच्छे एजेण्ट वही हैं जो उत्तम ढंग से वार्तालाप कर सकते हैं।

बहुत से लोगों की एक बहुत बड़ी आकांक्षा यह होती है कि वह दूसरों के ह्दय पर अपना सिक्का जमाए। प्रत्येक व्यक्ति अपने करोबार और नौकरी में सफलता का इच्छुक होता है। इस महत्वाकांक्षा ने बहुत से साधु, फकीर, तांत्रिक और ज्योजिषी पैदा कर दिए हैं। अनेक लोग हाथ देखनेवालों के पीछे-पीछे फिरते हैं, भेंट चढ़ाते हैं और ज्योतिषियों से परामर्श लेते हैं। व्यापारी व्यापार की वृद्धि के लिए, नौकर अपने मालिकों को प्रसन्न रखने के लिए चमत्कार की खोज में धन और समय का अपव्यय करते हैं। काश! ये लोग जान सकते कि चमत्कारी शक्तियां स्वयं उनके अन्दर हैं और उनकी सभी शक्तियों में प्रधान बातचीत करने की शक्ति है।

उत्तम वार्तालाप के नियम

निस्सन्देह संसार में बुद्धिमत्ता का भी आदर होता है। धन की चमत्कार-शक्ति से भी कोई इनकार नहीं कर सकता है परन्तु जिस व्यक्ति को बात करने का ढंग नहीं आता- जिसके पास कोमल, मधुर एवं सुसंस्कृत शब्दों का भण्डार नहीं, वह अनेक गुणों का स्वामी होते हुए भी दिलों का स्वामी नहीं बन सकता। लोग उसको पंसंद करते हैं, जिसके शब्दों में मधुरस हो, जिसकी बोली समय और स्थिती की पहचान कर सके और जिसकी बातचीत में दूसरों के लिए आदर भी हो, प्रशंसा भी, नम्रता भी हो और प्रोत्साहन भी, वही व्यक्ति वस्तुतः जादूगर है।

उत्तम वार्तालाप का मुख्य नियम यह है कि अनावश्यक बातों से हमेंशा बचा जाए। उतनी ही बात की जाए, जितनी आपकी उद्देश्य-पूर्ति के लिए र्प्याप्त हो। कुछ लोग ऐसे होते हैं कि युद्ध की बातें करते-करते घर की बातें करने लगते हैं। घर की बातों में किसी यात्रा का जिक्र छेड़ देते हैं। एक व्यक्ति के विषय में बात प्रारम्भ होगी और वे चार व्यक्तियों की कहानियां ले बैठेंगे। इस प्रकार के व्यर्थ वार्तालाप का स्वभाव अधिक बातें करने से बनता है।

वार्तालाप जितना लम्बा होगा, उसका प्रभाव उतना ही कम होगा। शेक्सपीयर का कहना है कि ‘संक्षिप्तता बुद्धिमत्ता की आत्मा है।‘ पोप का यह कथन भी सदा ध्यान रखना चाहिए - ‘शब्द पत्तियों के समान हैं और भाव फल के समान......जिस वृक्ष पर पत्तियां अधिक हों फल कमजोर होते हैं।‘

आवश्यकता से अधिक बातें करनेवालों को यह गुमान होने लगता है कि लोग उनकी बातों में दिलचस्पी लेते हैं। वास्तव में यह दिलचस्पी नहीं होती, दिखावा ही होता है।

1. दूसरों की भी सुनें

2. निजी बातों से परहेज रखें

3. एक ही बात को दोहराएं नहीं

4. वार्तालाप को रोचक बनाएं

5. अपना ज्ञान बढ़ाएं

लॉर्ड चेस्टरफील्ड ने अपने पुत्र के नाम एक पत्र में लिखा था-

‘अशिक्षित लोगों का वार्तालाप कोई वार्तालाप नहीं। बातचीत जारी रखने के लिए उनके पास न तो सामग्री होती है न ही शब्द। अच्छा वार्तालाप उतना ही रोचक हो सकता है, जितना कोई स्वादिष्ट व्यंजन, और यह गुण बिना ज्ञान और अनुभव के प्राप्त नहीं किया जा सकता।‘

उत्तम वार्तालाप करने के इच्छुक व्यक्ति को लॉर्ड के ये शब्द सदा ध्यान में रखने चाहिए। अच्छी-अच्छी पुस्तकों व पत्र-पत्रिकाओं के अध्ययन से हम अपने ज्ञान, विचार और शब्द-भण्डार में बहुत वृद्धि कर सकते हैं।

उत्तम वार्तालाप करने के इच्छुक व्यक्ति को लॉर्ड के ये शब्द सदा ध्यान में रखने चाहिए। अच्छी-अच्छी पुस्तकों व पत्र-पत्रिकाओं के अध्ययन से हम अपने ज्ञान, विचार और शब्द-भण्डार में बहुत वृद्धि कर सकते हैं।

जो व्यक्ति अध्ययन नहीं करता, वह वार्तालाप-कला से भी अनभिज्ञ है। प्रत्येक नवयुवक के पास एक नोटबुक होनी चाहिए। अध्ययन करते समय यदि कोई अच्छा सा वाक्य-पद अथवा कोई सुन्दर उक्ति दिखाई दे तो तुरन्त नोट कर लें। यही एक ढंग है जिससे आपका वार्तालाप समृद्ध हो सकता है।

और अंत में लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘पहले तोलो और फिर बोलो।‘ यह कथन आज भी वैसा ही अनुसरणीय है, जैसा पूर्व समय में था।

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