vartaman Samay Mein mahilaon ke Prati ho rahi gharelu hinsa par nibandh
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महिलाओं का काम करने का तरीका, सोचने का तरीका, व्यवहार आदि सब पुरुषों से अलग है। इन्हीं तथ्यों को माना जाये तो हम यह कह सकते है की महिलाएं शारीरिक रूप से तथा मनोवैज्ञानिक तरीके से पुरुषों के बराबर नहीं है। पर महिलाऐं पुरुषों से पीछे भी नहीं है। उदाहरण के तौर पर बच्चों की देखभाल को ही ले ले। भारत में बहुत पुराने समय से ही महिलाओं के लिए समाज में एक लक्ष्मण रेखा बना दी गयी है। जिसे लांघना उनके लिए लगभग नामुमकिन है। कई सालों से इन परम्पराओं में कोई बदलाव नहीं आया है। आज के आधुनिक युग में यह हमें पिछड़े हुए सामाजिक जीवन का एहसास दिलाती है। यहाँ पर प्रश्न यह उठता है की इस पिछड़ेपन के पीछे कौन जिम्मेदार है महिला खुद या पुरुषों की सोच या फिर महिलाओं के लिए बढ़ती पारिवारिक जिम्मेदारी।
21वीं सदी के समाज की बात की जाये तो आज भी महिलाओं को वे अधिकार नहीं मिले है जिनकी वे हक़दार है। आज भी उनसे कई जगह घटिया व्यव्हार किया जाता है, उन पर हावी होने की कोशिश की जाती है। यह हमे सोचने पर विवश करता है की इतने सामाजिक जागरूकता फ़ैलाने वाले कार्यक्रम चलने के बावजूद क्यों हर जगह सिर्फ महिला को परेशान होना पड़ता है, क्यों उन्हें मानसिक पीड़ा सहनी पड़ती है, क्यों नहीं उन्हें सारी बाधाओं से मुक्त कर दिया जाता। पहले समय में महिलाएं घर पर रहकर काम करने को मजबूर थी। मर्दों की तरह उन्हें बाहर जाकर सामाजिक कार्यों का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं थी। पर अब माहौल बदलता जा रहा है। महिलाएं स्वयं जागरूक हो गई है और हर सामजिक महोत्सवों में बढ़-चढ़ के हिस्सा ले रही है।
21वीं सदी के समाज की बात की जाये तो आज भी महिलाओं को वे अधिकार नहीं मिले है जिनकी वे हक़दार है। आज भी उनसे कई जगह घटिया व्यव्हार किया जाता है, उन पर हावी होने की कोशिश की जाती है। यह हमे सोचने पर विवश करता है की इतने सामाजिक जागरूकता फ़ैलाने वाले कार्यक्रम चलने के बावजूद क्यों हर जगह सिर्फ महिला को परेशान होना पड़ता है, क्यों उन्हें मानसिक पीड़ा सहनी पड़ती है, क्यों नहीं उन्हें सारी बाधाओं से मुक्त कर दिया जाता। पहले समय में महिलाएं घर पर रहकर काम करने को मजबूर थी। मर्दों की तरह उन्हें बाहर जाकर सामाजिक कार्यों का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं थी। पर अब माहौल बदलता जा रहा है। महिलाएं स्वयं जागरूक हो गई है और हर सामजिक महोत्सवों में बढ़-चढ़ के हिस्सा ले रही है।
yeshwantyadav:
thankyou
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भारत दुनिया में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, और 49% नम्र आबादी महिला आबादी है।
लेकिन अंधविश्वासों और नकारात्मक धार्मिक मान्यताओं के कारण हमारे देश में महिला की स्थिति अच्छी नहीं है।
हमारे देश में महिलाएं हमेशा लिंग भेद के कारण पुरुषों से वंचित रहती हैं।
घर की पत्नियों, माताओं और बहनों पर घरेलू हिंसा बहुत आम है।
इस स्थिति को रोकने के लिए हमें महिला शिक्षा का प्रसार करना होगा जो निश्चित रूप से मदद करेगी।
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