Hindi, asked by PLANTY, 9 months ago

VARTAMAN SHIKSA AUR BHAVISYA PAR EK ANUCHED LIKHIYE. 100-120 SABD

Answers

Answered by sahatrupti21
0

शिक्षा किसी राष्ट्र अथवा समाज की प्रगति का मापदंड है । जो राष्ट्र शिक्षा को जितना अधिक प्रोत्साहन देता है वह उतना ही विकसित होता है । किसी भी राष्ट्र की शिक्षा नीति इस पर निर्भर करती है कि वह राष्ट्र अपने नागरिकों में किस प्रकार की मानसिक अथवा बौदधिक जागृति लाना चाहता है ।

इसी नीति के अनुसार वह अनेक सुधारों और योजनाओं को कार्यान्वित करने का प्रयास करता है जिससे भावी पीढ़ी को लक्ष्य के अनुसार मानसिक एवं बौद्‌धिक रूप से तैयार किया जा सके ।स्वतंत्रता के पश्चात् देश में कई आयोग व समीतियों का गठन हुआ है ।

सभी को ‘बुनियादी शिक्षा’ के प्रारंभिक लक्ष्य में आशातीत सफलता मिली है । स्वतंत्रता पूर्व की शिक्षा पद्‌धति में परिवर्तन लाते हुए प्राथमिक शिक्षा को चौथी से पाँचवीं तक किया गया ।

सन् 1964, 1966, 1968 तथा 1975 ई॰ में शिक्षा संबंधी आयोगों का गठन हुआ । 10 +2 +3 की शिक्षा पद्‌धति को सन् 1986 ई॰ में लागू किया गया इसे देश के अनेक राज्यों में लागू किया गया । इसे ही नई (वर्तमान) शिक्षा नीति की संज्ञा दी गई । इसमें पूर्वकालीन शिक्षा संबंधी अनेक विषमताओं व त्रुटियों को दूर करने का प्रयास किया गया ।

इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. एकरूपता:

नई शिक्षा नीति के माध्यम से पूरे देश के विद्‌यालयों में 10 +2 के प्रारूप पर तथा सभी महाविद्‌यालयों में एक समान तीनवर्षीय उपाधि (डिग्री कोर्स) पाठ्‌यक्रम लागू किया गया । देश के सभी शिक्षण संस्थाओं में एक समान पाठ्‌यक्रम लागू होने से छात्रों को सुविधा होती है ।

2. बुनियादी स्तर में परिवर्तन:

नई शिक्षा नीति में बुनियादी स्तर पर ठोस उपाय किए गए हैं । उसके तहत प्रत्येक गाँव में अनिवार्य रूप ये विद्‌यालय खोलने का प्रसताव है तथा सभी वर्ग के लोगों को कम से कम बुनियादी शिक्षा देने का प्रावधन है । इसमें पिछड़े वर्ग के लोगों को कम से कम बुनियादी सिक्षा देने का प्रावधान है ।

इसमें पिछड़े वर्ग के लोगों को विशेष सुविधा दी गई है तथा साथ ही साथ प्रौढ़ शिक्षा पर भी विशेष बल दिया गया है । प्रौढ़ों को शिक्षित करने के उद्‌देश्य से देश भर में विभिन्न स्थानों पर अनौपचारिक शिक्षा के तहत आँगनबाडी केंद्र खोले गए हैं । हालाँकि ऐसे केंद्रों की संख्या अभी भी काफी कम है ।

3. जीवन शिक्षा की एकरूपता:

इम शिक्षा नीति को जीवन के अनुरूप प्रायोगिक बनाया गया है । इसमें शिक्षा के विकास हेतु विभिन्न संसाधनों-सरकारी, अर्द्धसरकारी तथा निजी सहायता स्त्रोतों की उपलब्धि को सुलभ बनाया गया है ।

4. आधुनिक संसाधनों पर विशेष बल:

नई शिक्षा नीति में आधुनिक संसाधनों जैसे आकाशवाणी, दूरदर्शन व कंप्यूटर आदि के प्रयोग पर विशेष बल दिया गया है । इन संसाधनों के प्रयोग को और भी अधिक व्यापक बनाने हेतु प्रयास जारी हैं ।

5. केंद्रीय विद्‌यालयों को प्रोत्साहन:

नई शिक्षा नीति में देश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक केंद्रीय विद्‌यालय खोलने का प्रस्ताव है । समस्त केंद्रीय विद्‌यालयों को समान सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं ।

6. प्रतिभाशाली विद्‌यार्थियों की खोज:

इस उद्‌देश्य की पूर्ति के लिए जिला स्तर पर ‘नवोदय विद्‌यालयों’ को स्थापित किया गया है जिनमें विशेष स्तर की शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था है । यहाँ सभी विद्‌यार्थियों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई गई है ।

7. परीक्षा-पद्‌धति में सुधार:

नई शिक्षा नीति में परीक्षा पद्‌धति में विशेष परिवर्तन किया गया है । इसमें छात्र के व्यावहारिक अनुभव व ज्ञान को विशेष आधार बनाया गया है ।

इस प्रकार यदि हम देश की नई शिक्षा पद्‌धति का मूल्यांकन करें तो हम देखते हैं कि इसका आधार प्रायोगिक तथा व्यावहारिक है । यह पूर्वकालीन अनेक अटकलों का खंडन करती है । नई शिक्षा नीति राष्ट्र को विकास की ओर ले जाने में विशेष भूमिका अदा कर रही है ।

plz mark as brainliest

Answered by dcharan1150
0

वर्तमान की शिक्षा और भविष्य।

Explanation:

भारत के वर्तमान की शिक्षा प्रणाली कई हद तक व्यावहारिकता से कोषों दूर हैं। आज के शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थियों को कार्य-कुशल करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी पाई जाती है। शिक्षा प्रणाली में हमें कई विषय रट कर परीक्षा देना पड़ता है, जिससे विद्यार्थियों की सृजनात्मक क्षमताओं को विकसित नहीं होने देता है।

इसलिए आने वाले समय में हमें अपने शिक्षा प्रणाली में बेहतर तरीके से कई, अभूतपूर्व बदलाव करने पड़ेंगे। हर एक विद्यार्थी को नजर में रखते हुए, एक ऐसी शिक्षा प्रणाली को बनाना होगा की जो की व्यावहारिक होने के साथ-साथ उन्हें कार्य कुशल बनाए और जहां समानता हो।

Similar questions