Vartanam me majduro ki samasaya or unke samadhan
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आज महानगरों की चौहद्दियों से लेकर राज्यों की सीमाओं और गांवों के ब्लॉक व पाठशालाओं तक लाखों मजदूर अटके पड़े हैं। ये प्रवासी मजदूर अपने गांवों को कूच कर चुके हैं। जो नहीं निकल पाए हैं, वे माकूल मौके व साधन के इंतजार में हैं। उन्हें अपने मुलुक पहुंचने की बेचैनी है। एक बार गांव पहुंच गए तो शायद कोरोना का कहर खत्म होने के बाद भी वापस शहरों का रुख न करें। कोरोना महामारी के चलते पांच करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर गांव वापसी कर रहे हैं। कठिन चुनौती है कि जो कृषि देश की अर्थव्यवस्था में 16.5 प्रतिशत योगदान के बावजूद लगभग 45 प्रतिशत श्रम-शक्ति को खपाए हुए हो, वह बाहर से लौटे इन मजदूरों को कैसे जज्ब कर पाएगी? फिर भी 10.07 करोड़ परिवारों के 49.51 करोड़ लोगों का भार ढो रही कृषि को कम से कम और पांच करोड़ लोगों को टिकाने लायक बनाना होगा। नहीं तो देश भयंकर सामाजिक अशांति का शिकार हो सकता है।
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