vartman shiksha pranali ke gun
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ache sansadhan
technology Ka prayog
भारत में आज के समय में शिक्षा धंधेबाज़ी हो गई है, कोई क्रिएटिविटी नहीं, कोई एक्टिविटी नहीं कोई बच्चों को प्रोत्साहित या रिवार्ड नहीं केवल टेस्ट और एक्जाम लेने और अंत में एक रिज़ल्ट कार्ड दे कर ये अपने कर्तव्यों की पूर्ति कर रहे हैं.
इनकी शिक्षा एक रटन्तु शिक्षा है जो बच्चे जितना रटने में माहिर वो उतना ज्यादा होशियार मान लिया जाता है.आजकल कंप्यूटर ज्ञान बच्चो की शिक्षा के लिए अच्छा कदम है पर पुराना हिसाब जैसे सवा ,डेढ़ पोना ये बच्चे समाज ही नहीं पाते है ,हिंदी विषय में ये भी जोड़ना चाहिए , आजकल एक्टिविटI इतनी ज्यादा हम कह सकते हैं कि शिक्षा प्रणाली बेरोजगारी के लिए ज़िम्मेदार है, परन्तु जब भारत में बेरोजगारी की बात आती है तो यह एकमात्र कारण नहीं है। भारत में बेरोजगारी के दो प्रमुख कारण हैं: 1) नौकरी तलाशने वालों में पर्याप्त गुण नहीं है 2) नौकरी तलाशने वालों की योग्यता से मेल खाने के लिए नौकरियों की कमी है |
जब पहला बिंदु पूर्व-प्रभावशाली होता है, तो यह हमारी शिक्षा प्रणाली की गलती है, लेकिन जब दूसरी बात अर्थव्यवस्था में हावी होती है, तो कई अन्य चीजें भी जिम्मेदार होती हैं। भारत में, हमें बीच में कहीं भी बसना है, क्योंकि दोनों कारण यहाँ प्रासंगिक हैं।
भारतीय शिक्षा प्रणाली, हम अच्छी तरह से जानते हैं, मुख्य रूप से कागज़- कलम ज्ञान उन्मुख है। शिक्षित लोगों को हमारे देश के मानव संसाधन के रूप में पैदा करने की प्रक्रिया में शिक्षा का असली अर्थ निश्चित रूप से खो गया है। भारतीय शिक्षा प्रणाली में व्यावहारिकता और रचनात्मकता की कमी है। जब राजनीति स्कूल में सिखाए गए पाठ्यक्रम को प्रभावित कर रही है तो इन दो चीजों को हासिल करना बहुत मुश्किल है।होती हैं कि पढ़ाई में समय कम मिलता है,