वसंत भाग3
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प्रश्न-अभ्यास
पाठ से
1. 'तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं'-उक्त उदाहरण से कबीर क्या
कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
2. पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है 'मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिर,
यह तो सुमिरन नाहिं' के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?
3. कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार
पर स्पष्ट कीजिए।
4. मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह
भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?
Answers
Answer:
Explanation:
1.'तलवार का महत्व होता है, म्यान का नहीं' - उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए। 'तलवार का महत्वा होता है, म्यान का नहीं' से कबीर यह कहना चाहते हैं कि असली चीज़ कद्र की जानी चाहिए
2.इसमें कबीरदास जी कहते हैं ,इस पंक्ति के माध्यम से कबीर जी कहना चाहते है कि हमारा मन भक्ति के समय दस दिशाओं की और घूमता रहता है ,परन्तु मनुष्य का चंचल मन सभी दिशाओं में घूमता रहता है। मानव मन गतिशील होता है जो बिना विचारे इधर-उधर घूमता रहता है परन्तु ये भगवान का नाम क्यों नहीं लेता। ऐसी भक्ति व्यर्थ है |
3.कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। ... कबीर के दोहे में घास का विशेष अर्थ है क्योंकि इसमें उन्होंने पैरों के नीचे रौंदी जाने वाली घास के बारे में कहा है कि हमें कभी उसे निर्बल या कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसका छोटा-सा तिनका भी यदि आँख में पड जाए तो कष्टकर होता है।
4. मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेने वाले दोष होते हैं यह बात कबीर की निम्नलिखित साखी से स्पष्ट होती है - आवत गारी एक है , उलटत होइ अनेक। कह कबीर नहिं उलटिए , वही एक की एक।।
इस साखी में कवि ने लोगों को सामाजिक मानदंडों से अवगत करवा कर उन्हें सचेत करने का प्रयत्न किया है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।