वस्तु और सेवा कर जीएसटी से आप क्या समझते हैं
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गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया गया एक अप्रत्यक्ष कर है। माल और सेवा कर अधिनियम २९ मार्च २०१७ को संसद में पारित किया गया था और १ जुलाई २०१७ को जीएसटी कर लागू हुआ। जीएसटी कराधान में समानता लाता है और इसने भारत में कईं अप्रत्यक्ष करों (एक ऐसा कर जो आय या मुनाफे के बजाय वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया गया हो) को बदल दिया है।
Explanation:
जी. इस. टी. : - गुड्स एंड सर्विस टैक्स एक व्यापक, गंतव्य-आधारित कर है, जिसमें हर मूल्यवर्धन पर बहु-स्तरीय कर उदग्रहण होगा। (GST) जीएसटी को समझने क लिए कुछ बातों की सरलीकरण करना ज़रूरी है।
ये कर गंतव्य-आधारित है:- जिसका मतलब निर्माण, उत्पादन या आपूर्ति के संबंधित अच्छे स्थान के बावजूद उपभोग के विषय पर जीएसटी (GST) कर एकत्र किया जाता है।
ये बहु-चरण या बहु-स्तरीय है: -जीएसटी भारत में सप्लाई चैन के प्रत्येक चरण पर लगाया जाता है, अर्थात्, कच्चे माल की खरीदारी से लेकर निर्माण, और थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता और अंतिम-उपयोगकर्ता तक की बिक्री।
मूल्य वर्धित उदग्रहण:- उपभोक्ता को अंतिम बिक्री पूरा होने तक प्रत्येक चरण में, उत्पाद या सेवा में जोड़ा गया प्रत्येक मौद्रिक मूल्य जीएसटी के तहत कर योग्य है।
GST का महत्व, लाभ और हानि:- GST से भारत को कुछ फायदें हुए हैं तो कुछ नुक्सान भी हुए हैं। GST का उद्देश्य अप्रत्यक्ष करों की संख्या को कम करना और भारतीय बाज़ार को एकजुट करना है। अगर इसे पिछले वित्तीय वर्ष (फाइनेंसियल ईयर) में मध्य मार्ग के लिए लागू किया गया था, लेकिन इसमें समर्थकों और आलोचकों की अपनी उचित हिस्सेदारी है।
जीएसटी के तहत क्या कर का भुगतान करना होता है?: - भारत संघीय देश होने के कारण, केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के पास कर लगाने की शक्तियां हैं। जीएसटी शासन के तहत, केंद्र और राज्य दोनों के पास GST लगाने की शक्ति है। इसलिए, भारत में GST के तहत दो मुख्य करों का भुक्तं करना पड़ता है:
1. केंद्रीय जीएसटी (CGST)
2. राज्य स्तरीय जीएसटी (SGST)
भारत में जी. एस. टी. का सरल ढांचा : - जीएसटी के इन दोनों मुख्य भागों विभाजित है जिनमें एक है सीजीएसटी – केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर और दूसरा एसजीएसटी- राज्य वस्तु एवं सेवा कर है जो राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है। सहज भाषा में जी. इस. टी. को दो मुख्य स्तर पर लागू किया गया हैं – एक केंद्र स्तर पर और दूसरा राज्य स्तर पर। विस्तृत रूप से GST को चार भागों में विभाजित किया गया हैं:
आई. जी. एस. टी. – एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर : - आई. जी. इस. टी. (IGST) केंद्र सरकार द्वारा राज्य के बाहर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला कर हैं, जिसे अंतर-राज्यीय कर या राज्यों के बीच का कर भी कहते हैं। ये कर केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं।
सि. जी. एस. टी. – केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर : - सी जी एस टी (CGST) का पूरा नाम हैं सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर) जो केंद्र सरकार द्वारा राज्य के अंदर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता हैं। इसको राज्यान्तरिक (Intrastate) कर भी कहते हैं। ये कर केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं।
एस. जी. एस. टी. – राज्य वस्तु एवं सेवा कर : - एस जी एस टी (SGST) पूरा नाम है स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (राज्य वस्तु एवं सेवा कर)। ये कर राज्य सरकार द्वारा राज्य के अंदर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता हैं। इस कर को राज्यान्तरिक (Intrastate) कर भी कहते हैं और ये कर राज्य सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं।
यू. टी. जी. एस. टी. – केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर: - यूटी जी एस टी का पूरा नाम है यूनियन टेरिटरी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर) हैं। ये कर केंद्र शासित प्रदेश सरकार या यूनियन टेरिटरी गवर्नमेंट द्वारा राज्य के अंदर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला कर हैं। इस कर को राज्यान्तरिक कर भी कहते हैं। ये कर केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं। हालांकि, ऐसी संभावनाएं हैं, कि लोग दो अलग-अलग राज्यों के दो व्यक्तियों के बीच लेनदेन के मामले में भ्रमित ना हों और दो राज्यों के बीच करों का बकाया निर्धारित करने में कठिनाई ना हो, इसलिए केंद्र द्वारा IGST लगाया जाएगा। सरल भाषा में अब, केंद्र राज्य के जीएसटी के हिस्से को राज्यसंगत IGST से जोड़ देगा।