Science, asked by mahay25901, 11 months ago

वस्त्रों को सिलने के लिए उपयोग में लाये जाने वाले विभिन्न टाँकों का वर्णन कीजिए।

Answers

Answered by RvChaudharY50
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Answer:

1. कच्चा टाँका (Basting/Tacking):

यह स्थायी टाँका नहीं है। यह टाँका केवल दो कपड़ों को अस्थायी रूप से जोड़ने के लिए किया जाता है। जब दो कपड़े अस्थायी टाँकों से जोड़ दिये जाते हैं तो वास्तविक सिलाई बाद में की जाती है। कच्चे टाँके लगाने से स्थायी अन्तिम सिलाई सरलता से और उत्तम होती है। धागे को गाँठ देकर कपड़े की दायीं ओर से बायीं ओर सिलाई की जाती है। यह टाँका – सेमी. से 1 सेमी. लम्बा हो सकता है। इसके लिए लम्बे धागे व लम्बी सुई का उपयोग किया जाता है। जब वस्त्र पर पक्की सिलाई हो जाती है तो कच्ची सिलाई निकाल दी जाती है।

2. बखिया टाँका:

हाथ की सिलाई का यह सर्वाधिक मजबूत टाँका है। यह टाँका मशीन के टाँके की तरह मजबूत होता है। ये टाँके सामने से मशीन के टाँके जैसे लगते हैं। जहाँ मशीन द्वारा सिलाई नहीं की जा सकती है। वहाँ पर बखिया टाँके का उपयोग किया जाता है। इस टाँके को बनाने के लिये एक सादा टाँका लगाया जाता है। अब सुई को वापिस पीछे की तरफ उसी जगह से निकालते हैं। जहाँ से पहले निकाली थी और पहले वाले टाँके से आगे की ओर ले जाते हैं अर्थात् सुई एक कदम पीछे ओर दो कदम आगे चलती है।

3. तुरपाई:

सिले हुए वस्त्रों के किनारों को मोड़कर यह टाँका लगाया जाता है। इसे ‘स्थायी हस्त टाँका’ भी कहते हैं। तुरपाई वस्त्र के निचले घेरे, पैंट की मोहरी, गले की पट्टियाँ आदि पर की जाती है। इसमें कपड़े के सीधे तरफ टाँके न के बराबर दिखाई देते हैं। तुरपाई वाले स्थान को सर्वप्रथम प्रैस करते हैं फिर कपड़े के किनारों को अन्दर की ओर अच्छी तरह से मोड़ लें। तुरपाई का टाँका हमेशा उल्टी तरफ से लगाया जाता है। तुरपाई के वस्त्र को बराबर मोड़ते हुए कपड़े को अपने बायें हाथ की अंगुलियों में फँसाकर, दायें हाथ से सुई पकड़कर नीचे वाले हिस्से को लेते हुए ऊपर वाले हिस्से की ओर छोटा टाँका निकालें। इस प्रकार थोड़ी-थोड़ी दूरी पर टाँका लगाते जायें। उल्टी तरफ टाँका तिरछापन लिये दिखाई देता है।

4. चोर सिलाई:

किनारों से रेशे अधिक निकलने वाले वस्त्रों पर यह सिलाई की जाती है। जैसे – साटिन, कृत्रिम सिल्क आदि। दोनों कपड़ों की सीधी साइड बाहर की और रखकर कपड़ों के किनारे की सादा सिलाई से सिलें। सिलाई करने के बाद कपड़े को पलटकर उल्टे भाग की ओर पड़ने वाली सिलाई के बीच में लेते हुए पुनः टाँका लगा दें।

5. इन्टरलॉक टाँका:

ये टाँके सज्जा के लिये बच्चों के गर्म कपड़ों व कम्बलों के किनारों पर लगाये जाते हैं। फ्रॉक, ब्लाउज आदि के गले व बाँह आदि के किनारों की सुन्दरता बढ़ाने के लिये भी ये टाँके लगाये जाते हैं। इसे ‘लूप’ टाँका भी कहते हैं। यह हाथ से बनाया जाता है। बायीं ओर से शुरू करते हुए सुई को कपड़े की परत में डालकर, ऊपर किनारों की ओर आगे को ऊपर डालते हुए लूप बनाते हुए निकालें। इस प्रकार एक के बाद एक टाँका लगाते जायें। ये टाँके धागा बाहर न निकले इसके कारण वस्त्रों के किनारों पर लगाये जाते हैं।

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