वसुधा के रहने वालों । रहो सर्वदा प्यार से||
नाम अलग है देश-देश के, पर वसुंधरा एक है।
फल-फूलों के रूप अलग पर भूमि उर्वरा एक है।
धरा बाँटकर हृदय न बाटो दूर रहो संहार से||
कभी न सोचो तुम अनाथ, एकाकी या निष्प्राण रे।
बूंद-बूंद करती है मिलकर, सागर का निर्माण रे।
लहर-लहर देती संदेश यह, दूर क्षितिज के पार से||
धर्म वही है जो करता है मानव का उद्धार रे|
धर्म नहीं वह जो कि डाल दे, दिल में एक दरार रे|
करो न दूषित आँगन मन का, नफरत की दीवार से||
|. धरती पुकार कर क्या कह रही है?
क. सब के बारे में जाने
ख. मेरी बात सुन लिया करो
ग. सबकी खबर जान लिया करो घ. सदा रहो प्यार से
॥. धरती को बाँटने के बाद अब मनुष्य किसे बाँटने का प्रयास कर रहा है?
क. घरों को
ख. हृदय को ग. शहरों को घ. खेत-खलिहान
को
।।।. सच्चा धर्म कौन सा है?
क. जो दिल में दरार डाल दे
ख. जो मन के आंगन को दूषित कर
दे
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वसुंधा करता संदेश दे रही है।
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