वट वृक्ष की छाया में किसकी जीवनी है
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नाभा दास- भक्तमाल (1585 ई.) गोसाई गोकुलनाथ- चौरासी वैष्णवन की वार्ता, दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता (17 वीं सदी ई.) 'अवारा मसीहा' शरतचंद्र की औपन्यासिक जीवनी है। 'बटवृक्ष को छाया में' अमृत लाल नागर (कुमुद नागर) की स्मृति को सुरक्षित रखने के लिए लिखी गई है।
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नाभा दास- भक्तमाल (1585 ई.) गोसाई गोकुलनाथ- चौरासी वैष्णवन की वार्ता, दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता (17 वीं सदी ई.) 'अवारा मसीहा' शरतचंद्र की औपन्यासिक जीवनी है। 'बटवृक्ष को छाया में' अमृत लाल नागर (कुमुद नागर) की स्मृति को सुरक्षित रखने के लिए लिखी गई है।
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