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Explanation:
मूल्य वर्धित कर प्रणाली में राज्य में माल के प्रत्येक विक्रय पर कर लगता है तथा विक्रेता द्वारा राज्य में क्रेता को चुकाए गए कर का सेट-ऑफ ‘इनपुट टैक्स रिबेट’ के रूप में प्राप्त होता है। इस प्रणाली में एक बार प्रथम विक्रेता को पूर्ण विक्रय मूल्य पर कर लगता है तथा बाद के विक्रयों पर मूल्य संवर्धन पर ही विक्रेता को कर देना पड़ता है। चूंकि माल क्रय करते समय जो कर विक्रेता को दिया गया था, उसको उसके द्वारा माल विक्रय करते समय देय कर में से कम कर लिया जाता है। दूसरे शब्दों में, यह कह सकते हैं कि मूल्य वर्धित कर माल के प्रत्येक विक्रय पर लगने वाला कर है जिसमें विक्रय के पूर्व स्तर पर राज्य में चुकाए गए कर, को कम करने की प्रत्येक विक्रय के समय व्यवस्था है। Value added tax is levied at each stage of sale with a credit of tax paid at immediately purchase stage within the state. उदाहरण द्वारा इसे इस प्रकार रखा जा सकता है, मोहन एक पंजीकृत व्यवसायी है, वह किसी माल को सोहन को 1000 रू में विक्रय करता है तथा मूल्य वर्धित कर की दर 10 प्रतिशत है तो वह क्रेता से 1100 रू वसूल करेगा, 1000 रू माल की कीमत तथा 100 रू मूल्य वर्धित कर, कुल 1000 + 100 = 1000 रू। सोहन भी पंजीकृत व्यवसायी है, वह उस माल को 1300 रू में विक्रय करता है तथा 10 प्रतिशत से 130 रू मूल्य वर्धित कर वसूल करेगा। इस प्रकार सोहन का विक्रय मूल्य 1430 रू होगा। इस विक्रय पर उसे राज्य शासन को 130 रू - 100 (मोहन द्वारा चुकाया गया कर ) = 30 रू जमा करने होंगे। यह प्रक्रिया तब तक चालू रहेगीं जब तक माल का विक्रय पंजीकृत व्यवसायियों की श्रृंखला के बीच चलता रहेगा तथा इस श्रृंखला के प्रथम विक्रेता व्यवसायी को अपने विक्रय मूल्य पर बनने वाला समस्त मूल्य वर्धित कर जमा करना होगा तथा श्रृंखला के शेष व्यवसायियों को केवल उनके द्वारा सवंिर्द्धत मूल्य (Value addition) पर ही कर जमा करना होगा।