Social Sciences, asked by Anonymous, 10 months ago

vatsalya ras ke udharan​

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Answered by joshansurpinder
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वात्सल्य रस का स्थायी भाव वात्सल्यता (अनुराग) होता है। इस रस में बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम,माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम,गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम आदि का भाव स्नेह कहलाता है यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है। वात्सल्य नामक स्थाई भाव की विभावादि के संयोग से वात्सल्य रस के परिणत होता है।

वात्सल्य रस का उदाहरण Vatsalya Ras Ka Udaharan

जसोदा हरि पालनैं झुलावै।

हलरावै, दुलरावै मल्हावै, जोइ सोइ, कछु गावै।

सन्देश देवकी सों कहिए,

हौं तो धाम तिहारे सुत कि कृपा करत ही रहियो।

तुक तौ टेव जानि तिहि है हौ तऊ, मोहि कहि आवै

प्रात उठत मेरे लाल लडैतहि माखन रोटी भावै।

बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति

अंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति

रस के भेद-

रस 9 प्रकार के होते हैं परन्तु वात्सल्य एवं भक्ति को भी रस माना गया हैं।

१- श्रंगार रस Shringar Ras

२- हास्य रस Hasya Ras

३- वीर रस Veer Ras

४- करुण रस Karun Ras

५- शांत रस Shant Ras

६- अदभुत रस Adbhut Ras

७- भयानक रस Bhayanak Ras

८- रौद्र रस Raudra Ras

९- वीभत्स रस Vibhats Ras

१०- वात्सल्य रस Vatsalya Ras

११- भक्ति रस Bhakti Ras

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Answered by Smartgirlkhushi
3

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