Vatsalya Ras ki kavita in Hindi
Answers
मेरा नया बचपन
बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।
गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी॥
चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद।
कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद?
ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था छुआछूत किसने जानी?
बनी हुई थी वहाँ झोंपड़ी और चीथड़ों में रानी॥
किये दूध के कुल्ले मैंने चूस अँगूठा सुधा पिया।
किलकारी किल्लोल मचाकर सूना घर आबाद किया॥
रोना और मचल जाना भी क्या आनंद दिखाते थे।
बड़े-बड़े मोती-से आँसू जयमाला पहनाते थे॥
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ
मैं रोई, माँ काम छोड़कर आईं, मुझको उठा लिया।
झाड़-पोंछ कर चूम-चूम कर गीले गालों को सुखा दिया॥
दादा ने चंदा दिखलाया नेत्र नीर-युत दमक उठे।
धुली हुई मुस्कान देख कर सबके चेहरे चमक उठे॥
वह सुख का साम्राज्य छोड़कर मैं मतवाली बड़ी हुई।
लुटी हुई, कुछ ठगी हुई-सी दौड़ द्वार पर खड़ी हुई॥
लाजभरी आँखें थीं मेरी मन में उमँग रँगीली थी।
तान रसीली थी कानों में चंचल छैल छबीली थी॥
दिल में एक चुभन-सी भी थी यह दुनिया अलबेली थी।
मन में एक पहेली थी मैं सब के बीच अकेली थी॥
मिला, खोजती थी जिसको हे बचपन! ठगा दिया तूने।
अरे! जवानी के फंदे में मुझको फँसा दिया तूने॥
सब गलियाँ उसकी भी देखीं उसकी खुशियाँ न्यारी हैं।
प्यारी, प्रीतम की रँग-रलियों की स्मृतियाँ भी प्यारी हैं।
सुभध्रा कुमारी चौहान
संकल्पना :
कविता, जिसे कभी-कभी कविता के रूप में जाना जाता है, साहित्य की एक शैली है जो भाषा के सौंदर्य और अक्सर लयबद्ध पहलुओं का उपयोग करके एक स्पष्ट स्पष्ट अर्थ के अलावा या इसके बजाय अर्थों को उजागर करती है, जैसे कि काफी, ध्वनि प्रतीकवाद और मीटर। रस मन की भावनात्मक स्थिति है, और नवरस नौ भावनाओं को दर्शाता है। श्रृंगार (प्रेम/सुंदरता), हस्य (हंसते हुए), करुणा (दुख), रौद्र (क्रोध), वीरा (वीरता/साहस), भयनाका (हिंसा), विभत्सा (नाराजगी), अदबुथा (आश्चर्य/आश्चर्य), और शांता हैं। नौ भावनाएँ (शांति या शांति)। माता-पिता और बच्चों के बीच संबंध के स्वाद को वात्सल्य-रस कहा जाता है।
व्याख्या:
हमें कविता के बारे में एक प्रश्न दिया गया है।
हमें वात्सल्य रस पर एक कविता लिखनी है।
बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।
गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी॥
चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद।
कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद?
ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था छुआछूत किसने जानी?
बनी हुई थी वहाँ झोंपड़ी और चीथड़ों में रानी॥
किये दूध के कुल्ले मैंने चूस अँगूठा सुधा पिया।
किलकारी किल्लोल मचाकर सूना घर आबाद किया॥
रोना और मचल जाना भी क्या आनंद दिखाते थे।
बड़े-बड़े मोती-से आँसू जयमाला पहनाते थे॥
अंतिम उत्तर:
माता-पिता और बच्चों के बीच संबंध के स्वाद को वात्सल्य-रस कहा जाता है।
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