Vayu Mandal ko Sangathan ke bare mein likhe
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वायुमंडल की ऊपरी परतों में गैसों का अनुपात इस प्रकार बदलता है जैसे – 120 Km की ऊँचाई (Height) पर आॅक्सीजन (O2) की मात्रा नगण्य हो जाती है। इसी प्रकार, कार्बन डाईआॅक्साइड (Co2) जलवाष्प (water vapour) पृथ्वी की सतह से 90 Km की ऊँचाई तक ही पाये जाते हैं।
गैस (Gases)
कार्बन डाईआॅक्साइड(Co2) एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण गैस है, क्योंकि यह सौर विकिरण (Solar radiation) के लिए पारदर्शी है, लेकिन पार्थिव विकिरण (Terrestrial radiation) के लिए अपारदर्शी है। यह सौर विकिरण के एक अंश को सोख लेती है तथा इसके कुछ भाग को पृथ्वी की सतह की ओर प्रतिबिंबित कर देती है। यह ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है। दूसरी गैसों का आयतन स्थिर है, जबकि
पिछले कुछ दशकों में मुख्यतः जीवाश्म ईंधन को जलाये जाने के कारण कार्बन डाईआॅक्साइड के आयतन में लगातार वृद्धि हो रही है। इसने हवा के ताप को भी बढ़ा दिया है। ओजोन (Ozone) वायुमंडल का दूसरा महत्त्वपूर्ण घटक है जो कि पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई के बीच पाया जाता है। जो सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी पर पूछने से रोकता है।
जलवाष्प (Water Vapour)
जलवाष्प वायुमंडल में उपस्थित ऐसी परिवर्तनीय गैस है, जो ऊँचाई के साथ घटती जाती है। गर्म तथा आर्द्र उष्ण कटिबंध (Tropics) में यह हवा के आयतन का 4 % होती है, जबकि ध्रुवों जैसे – ठंडे तथा रेगिस्तानों जैसे शुष्क प्रदेशों में यह हवा के आयतन के 1 % भाग से भी कम होती है। विषुवत् वृत्त से ध्रुवों की तरफ जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। यह सूर्य से निकलने वाले ताप के कुछ भाग को अवशोषित करती है तथा पृथ्वी से निकलने वाले ताप को संग्रहित करती है जो पृथ्वी को न तो अधिक गर्म तथा न ही अधिक ठंडा होने देती है।
धूलकण (Dust)
वायुमंडल में छोटे-छोटे ठोस कणों को भी रखने की क्षमता होती है। ये छोटे कण विभिन्न स्रोतों जैसे- समुद्री नमक, महीन मिट्टी, धुएँ की कालिमा, राख, पराग, धूल तथा उल्काओं के टूटे हुए कण से निकलते हैं। धूलकण प्रायः वायुमंडल के निचले भाग में मौजूद होते हैं, फिर भी संवहनीय वायु प्रवाह इन्हें काफी ऊँचाई तक ले जा सकता है। धूलकणों का सबसे अधिक जमाव उपोष्ण और शीतोष्ण प्रदेशों में सूखी हवा के कारण होता है, जो विषुवत् और ध्रुवीय प्रदेशों की तुलना में यहाँ अधिक मात्रा में होते है। धूल और नमक के कण आर्द्रताग्राही केन्द्र (Humid center) की तरह कार्य करते हैं जिसके चारों ओर जलवाष्प संघनित होकर मेघों (Clouds) का निर्माण करती हैं।
वायुमंडल/मौसम/ जलवायु
वायुमंडल (Atmosphere) – वायु के द्वारा घरे हुए क्षेत्र को वायुमंडल कहते है ।
मौसम (weather) – वायुमंडल में होने वाला अल्पकालिक परिवर्तन मौसम कहलाता है।
जलवायु (Climate) – मौसम में होने वाला दीर्घकालिक परिवर्तन जलवायु कहलाता है जिसका प्रभाव एक विस्तृत शेत्र और पर्यावरण पर पढता है।
वायुमण्डल का घनत्व (Density) ऊंचाई के साथ-साथ घटता जाता है। जिस आधार पर वायुमण्डल को 5 विभिन्न परतों में विभाजित किया गया है।
क्षोभमण्डल (Troposphere)
समतापमण्डल (Stratosphere)
मध्यमण्डल (Mesosphere)
तापमण्डल / आयनमंडल (Thermosphere/ Ionosphere)
बाह्यमण्डल (Exosphere)
i hope this will help u
गैस (Gases)
कार्बन डाईआॅक्साइड(Co2) एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण गैस है, क्योंकि यह सौर विकिरण (Solar radiation) के लिए पारदर्शी है, लेकिन पार्थिव विकिरण (Terrestrial radiation) के लिए अपारदर्शी है। यह सौर विकिरण के एक अंश को सोख लेती है तथा इसके कुछ भाग को पृथ्वी की सतह की ओर प्रतिबिंबित कर देती है। यह ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है। दूसरी गैसों का आयतन स्थिर है, जबकि
पिछले कुछ दशकों में मुख्यतः जीवाश्म ईंधन को जलाये जाने के कारण कार्बन डाईआॅक्साइड के आयतन में लगातार वृद्धि हो रही है। इसने हवा के ताप को भी बढ़ा दिया है। ओजोन (Ozone) वायुमंडल का दूसरा महत्त्वपूर्ण घटक है जो कि पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई के बीच पाया जाता है। जो सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी पर पूछने से रोकता है।
जलवाष्प (Water Vapour)
जलवाष्प वायुमंडल में उपस्थित ऐसी परिवर्तनीय गैस है, जो ऊँचाई के साथ घटती जाती है। गर्म तथा आर्द्र उष्ण कटिबंध (Tropics) में यह हवा के आयतन का 4 % होती है, जबकि ध्रुवों जैसे – ठंडे तथा रेगिस्तानों जैसे शुष्क प्रदेशों में यह हवा के आयतन के 1 % भाग से भी कम होती है। विषुवत् वृत्त से ध्रुवों की तरफ जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। यह सूर्य से निकलने वाले ताप के कुछ भाग को अवशोषित करती है तथा पृथ्वी से निकलने वाले ताप को संग्रहित करती है जो पृथ्वी को न तो अधिक गर्म तथा न ही अधिक ठंडा होने देती है।
धूलकण (Dust)
वायुमंडल में छोटे-छोटे ठोस कणों को भी रखने की क्षमता होती है। ये छोटे कण विभिन्न स्रोतों जैसे- समुद्री नमक, महीन मिट्टी, धुएँ की कालिमा, राख, पराग, धूल तथा उल्काओं के टूटे हुए कण से निकलते हैं। धूलकण प्रायः वायुमंडल के निचले भाग में मौजूद होते हैं, फिर भी संवहनीय वायु प्रवाह इन्हें काफी ऊँचाई तक ले जा सकता है। धूलकणों का सबसे अधिक जमाव उपोष्ण और शीतोष्ण प्रदेशों में सूखी हवा के कारण होता है, जो विषुवत् और ध्रुवीय प्रदेशों की तुलना में यहाँ अधिक मात्रा में होते है। धूल और नमक के कण आर्द्रताग्राही केन्द्र (Humid center) की तरह कार्य करते हैं जिसके चारों ओर जलवाष्प संघनित होकर मेघों (Clouds) का निर्माण करती हैं।
वायुमंडल/मौसम/ जलवायु
वायुमंडल (Atmosphere) – वायु के द्वारा घरे हुए क्षेत्र को वायुमंडल कहते है ।
मौसम (weather) – वायुमंडल में होने वाला अल्पकालिक परिवर्तन मौसम कहलाता है।
जलवायु (Climate) – मौसम में होने वाला दीर्घकालिक परिवर्तन जलवायु कहलाता है जिसका प्रभाव एक विस्तृत शेत्र और पर्यावरण पर पढता है।
वायुमण्डल का घनत्व (Density) ऊंचाई के साथ-साथ घटता जाता है। जिस आधार पर वायुमण्डल को 5 विभिन्न परतों में विभाजित किया गया है।
क्षोभमण्डल (Troposphere)
समतापमण्डल (Stratosphere)
मध्यमण्डल (Mesosphere)
तापमण्डल / आयनमंडल (Thermosphere/ Ionosphere)
बाह्यमण्डल (Exosphere)
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