Ve shel jinme jivasam hote Ve Kya kaylata hai
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जीवाश्मिकी या जीवाश्म विज्ञान या पैलेन्टोलॉजी (Paleontology), भौमिकी की वह शाखा है जिसका संबंध भौमिकीय युगों के उन प्राणियों और पादपों के अवशेषों से है जो अब भूपर्पटी के शैलों में ही पाए जाते हैं।
जीवाश्मिकी की परिभाषा देते हुए ट्वेब होफ़ेल और आक ने लिखा है : जीवाश्मिकी वह विज्ञान है, जो आदिम पौधें तथा जंतुओं के अश्मीभूत अवशेषों द्वारा प्रकट भूतकालीन भूगर्भिक युगों के जीवनकी व्याख्या करता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि जीवाश्म विज्ञान आदिकालीन जीवजंतुओं का, उने अश्मीभूत अवशेषों के आधार पर अध्ययन करता है। जीवाश्म शब्द से ही यह इंगित होता है कि जीव + अश्म (अश्मीभूत जीव) का अध्ययन है। अँग्रेजी का Palaentology शब्द भी Palaios = प्राचीन + Onto = जीव के अध्ययन का निर्देश करता है।
paleontology== परिचय == जीवाश्म विज्ञान का अध्ययन जीवविज्ञान की नई शाखा है और इसका विकास गत 200 वर्षों से ही अधिक हुआ है।
विज्ञान की इस शाखा के विकास के बहुत पहले से आदिमानव की जानकारी में यह था कि कुछ प्रकार के शैलों में एक विचित्र प्रकार के अवशेष पाए जाते हैं जो समुद्री जीवों के अनुरूप होते हैं। ज्ञान के अभाव में उसने पहले-पहल इन अवशेषों को जैविक उत्पत्ति का न समझकर, प्रकृति के विनोद की सामग्री समझ रखा था, जो पृथ्वी के अंदर किसी शक्ति के कारण बन गए। परंतु शनै:-शनै: ज्ञान की वृद्धि के साथ साथ मनुष्य को इस दिशा में भी अपने विचारों को बदलना पड़ा और उसने यह पता लगा लिया कि शैलों में पाए जानेवाले अवशेषों के प्राणी किसी न किसी समय में जीवत जीव थे और वह स्थान जहाँ पर हम आज इन जीवाश्मों को पाते हैं भौमिकीय युगों में समुद्र के गर्भ में था।
सन् 1820 तक केवल 127 अश्मीभूत वनस्पतियों तथा 2,100 जंतुओं का ही पता चला था, जो 1840 तक बढ़कर क्रमश: 2,050 तथा 24,300 की संख्या तक पहुँच गया। तब से अब तक इन संख्याओं में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। मानव क्षमता के अधीन यह संभव नहीं है कि संसार के जिने भी जीवाश्मों के स्रोत हैं, उन सबकी खोजबीन कर ली जाए। दूसरे, पृथ्वी पर जीवों की उत्पत्ति अरबों वर्ष पूर्व से ही होती आई है। तीसरे, संसार की भौगोलिक आकृति जैसी आज दृष्टिगोचर होती है, वैसी उन दिनों नहीं थी। जीव जंतु एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाया करते थे। अत: हमें उनके अश्मीभूत नमूनों से जो ज्ञान प्राप्त होता या हो सकता है, वह विच्छिन्न ही है, या होगा। अंत में यह कभी संभव नहीं है कि जितने भी जीवजंतु इतिहास के उस अंधकार युग में उपस्थित थे, उन सबका अश्मीकरण हो ही गया हो। अश्मीकरण की कुछ दशाएँ होती हैं, जिनके कारण जीवजंतु के मृत शरीरों का अश्मीकरण हो जाता है। सभी जीवों का अश्मीकरण न तो आवयश्यक ही है, न ही संभव है। इस कारण भी आदि जीवों के जीवन का शृंखलाबद्ध इतिहास लिखना दुरूह कार्य है।