Veer Ras rass Shringar Ras ki paribhasha udaharan sahit
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वीर रस-
- जहां विभाव,अनुभाव तथा व्यभिचारी भाव के सहयोग से उत्साह नामक स्थाई भाव रस रूप में परिणित होता है वहां वीर रस होता है। इसका स्थाई भाव उत्साह है ।
उदाहरण:-
- चढ़ चेतक पर तलवार उठा करता था भूतल पानी को। राणा प्रताप सिर काट काट करता था सफल जवानी को।।
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श्रृंगार रस-
- श्रंगार रस का स्थाई भाव रति है । जहां पर विभाव , अनुभाव व्यभिचारी भाव के सहयोग से रोते नामक स्थाई भाव रस रूप में परिणित होता है। वहां श्रृंगार रस होता है ।
उदाहरण:-
- हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी तुम देखी सीता मृगनैनी।
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Shringar Ras : Sringar Ras Ki Paribhasha
श्रृंगार रस के अंतर्गत नायिकालंकार, ऋतु तथा प्रकृति का भी वर्णन किया जाता है। नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस की अवस्था को पहुँचकर आस्वादन के योग्य हो जाता है तो वह 'शृंगार रस' कहलाता है। ... राम को रूप निहारति जानकि कंकन के नग की परछाहीं।
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