veer tum badhe chalo poem explanation
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वीर तुम बढ़े चलो कविता का अर्थ
भावार्थ: - यह एक 'प्रयाण' गीत है। कवि कहते है कि हे वीर, धीर! तुम आगे बढ़ो। हाथ में राष्ट्रीय ध्वज लेकर बिना रुके बढ़ते रहो। चाहे सामने पहाड़ हो या सिंह (शेर) गरज रहा हो, बिलकुल डरो नहीं, डटकर सामना करो और आगे बढ़ो। चाहे बादल गरज रहे हो, बिजलियाँ कड़क रही हों, सुबह हो या रात, कोई साथ में हो या न हो, सूर्य और चंद्रमा के समान आगे बढ़ते रहो। इसमें कवि ने पक्के इरादे के साथ आगे बढ़ने की बात की है। लगातार चलने से मुश्किल भी आसान हो जाती हैं।
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