Vetan Na badhane par bhi rasila Babu jagat Singh ki naukri kyu nahi chodta tha
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रसीला की ओर बाबू जगत सिंह का व्यव्हार बहुत कठोर था. बार बार कहने पर भी उन्होंने रसीला का वेतन न बढ़ाया ओर उत्तर में हमेशा बोलते कि अगर उसे कोई और ज़्यादा तनख्वा दे रहा था तो वह उधर जा सकता हैं. इसके बावजूत भी रसीला ने उनका काम नहीं छोड़ा. इसका यह कारण था कि सीधा साधा मनुष्य होने के कारण उसके लिए पैसो से ज़्यादा दूसरो का दिया हुआ आदर मायने रखता था. वह सोचता था कि वह इंजीनियर बाबू के लिए काफी सालों से काम कर रहा था जहा उसपर कोई शख या संदेह न करता. उसे पता था कि यदि वह किसी अमीर आदमी के लिए कम करे तो शायद उसे ज़्यादा तनख्वा मिले परन्तु उसे कभी किसी प्रकार का आदर न मिलता.
अतः बाबू जगत सिंह उसकी ओर कठोर थे परन्तु उसे खूब आदर भी देते थे.
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रसीला बार-बार अपने मालिक से तनख्वाह बढ़ाने की माँग करता था और हर बार उसकी माँग ठुकरा दी जाती थी परंतु इस सबके बावजूद रसीला यह नौकरी नहीं छोड़ना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि अमीर लोग किसी पर विश्वास नहीं करते हैं। यहाँ पर रसीला सालों से नौकरी कर रहा था और कभी किसी ने उस पर संदेह नहीं किया था। दूसरी जगह भले उसे यहाँ से ज्यादा तनख्वाह मिले पर इस घर जैसा आदर नहीं मिलेगा।
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