Hindi, asked by rahulmali6478, 1 year ago

viagyapan lekhan of tea in hindi

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Answered by lakshaydahiya931
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अपनी स्नातक की पढाई के बाद रमेश चांद अग्रवाल छुट्टियां मनाने दार्जलिंग गए तो उन्हें पता नहीं था कि उनकी यह यात्रा उनका भविष्य तय करने वाली है. उन्होंने उत्तरी बंगाल के चाय बागानों को देखा और खुले बाजार में चाय कि नीलामी होते देखी तो उन्हें लगा कि यह तो करने लायक काम है. रमेश ने फौरन ही चाय की एक छोटी सी खेप खरीद ली और तब से आज तक उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. प्रारंभ में रमेश सिर्फ चाय के थोक व्यापार के संचालन में शामिल हो कर इस व्यापार की थाह लेते रहे.लेकिन तभी एक छोटी सी घटना ने उनके पूरे दृष्टिकोण को बदल दिया. रमेश अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं-" एक बार ऐसा हुआ कि मैं चाय के एक फुटकर विक्रेता के यहाँ बैठा हुआ था. उसी समय वहां एक ग्राहक आयी और उसने कुछ ही दिनों पहले खरीदी हुयी चाय की गुणवत्ता की शिकायत करते हुए उस चाय को वापस करने को कहा. यह मेरे लिए एक विचारणीय बिंदु था और इस घटना से मेरे मन में अच्छी गुणवत्ता, सस्ती कीमत की पैकेट वाली चाय शुरू करने का विचार आया जिसकी पहुँच उन गाॉंवों तक हो जहाँ ब्रुक-बॉन्ड और टाटा जैसे बड़े ब्रांड नहीं पहुँच सके हैं."

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