Videsh me rehne wale apne mitra ko diwali ka warnan karte hue ek Patra likhe
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सप्रेम नमस्ते।
आज दीपावली है। आज के दिन न तुम आये, और न तुम्हारा पत्र ही आया। तुमने आने को लिखा था। आशा है, तुम स्वस्थ होगे।
आज दीपावली के दिन चारों ओर बड़ी चहल-पहल है। लोगों के चेहरों पर खुशी की लहर छायी है। दीपावली इस देश का एक बहुत पुराना त्योहार है। कहते हैं, इसी दिन श्रीरामचंद्र, लंका के राजा रावण को हराकर, चौदह वर्षों के बाद अयोध्या लौटे थे। दीपाव इसी खुशी में मनायी जाती है। अतः, दीपावली सत्य की जीत का त्योहार है। लोग घर । सफाई आदि कर रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर रात में लक्ष्मी की पूजा करते हैं। सारा घर-दिपो से जगमगाता है। इस दिन रोशनी की बहार देखते ही बनती है। आज के दिन हर आटी अपने सारे भेदभाव भुला देता है और सबसे मिलजुलकर रहना सीखता है। दीपावली समाज और व्यक्ति की सारी बुराइयाँ दूर करने की शिक्षा देती है।