vidhartiyo par durdarshan ka prabhaav
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दूरदर्शन का अविष्कार उन्नीसवीं सदी में महान वैज्ञानिक जे॰एल॰बेयर्ड ने किया था | इसका पहला सार्वजानिक प्रदर्शन सन् 1925 में लंदन में हुआ था | तब से आज तक इसका प्रसार निरंतर बड़ते जा रहा है | भारत में 15 सितंबर सन् 1959 को हमारे प्रथम राष्ट्र्यापति डॅा॰ राजेंद्र प्रसद ने आकाशवाणी के टेलिविज़न विभाग का उद्घाटन किया था |
आज हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चूका है | मनोरंजन का इससे सस्ता और प्रभावशाली कोई अन्य साधन नही है | नृत्य, संगीत, नाटक एवं फिल्म का आनंद घर बैठे ही लिया जा सकता है | जब से विभिन्न चैनेल आए है, मनोरंजन कार्यकरम की बढ़ सि आ गयी है | आप उदास है तो बस बटन दबाये और हँसी-ठहाकों की दुनिया में खो जाए | नई-नई धारावाहिक कुछ समय के लिय हमें कल्पना की दुनिया में ले जाते हैं | जहाँ पहुँचकर हम दिनभर की थकान भूल जाते हैं |
दूरदर्शन का जीवन पर प्रभाव निबंध
यह मनोरंजन का खज़ाना है ही, ज्ञान का भंडार भी है | घर बैठे आप देश-विदेश की सैरकरने के साथ-साथ वहाँ की सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं | बर्फीले हिम प्रदेश, सूखे रेजिस्थान, घने भयावह जंगल, गहरे सागरों के भीतर की दुनिया- जहाँ जाना चाहें, आप रिमोट के बटन दबाकर पहुँच सकते हैं | डिस्कवरी(discovery), हिस्ट्री चैनल(history channel), ज्योग्राफिक चैनल(geographic channel) कुछ ऐसे चैनल हिन्, जिनके कार्यकरम ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ मनोरंजन और मनोहारी भी होते हैं |
चिकित्स्या, कृषि, व्यापार, खेलकूद आदि से सम्बंधित कई चैनल इन क्षेत्रों की आधुनिकतम जानकारी चौबीसों घंटे मिलती है | देश-विदेश के समाचार एवं समाज तथा देश से जूरी घटनाओं पर परिचर्चाएं भी प्रसारित की जाती हैं | जीवन एवं स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान प्रस्तुंत करने वाले कार्यकरम भी उयोगी होती हैं | अब तो धर्म हो या योग सभी दूरदर्शन हमें जोड़े रखता है |