Hindi, asked by ramdassingh2019, 2 months ago

Vidhya mahima slok in sankrit full slok​

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Answered by utsav123422
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Answered by tuktuki8
2

Explanation:

Vidya Mahima Slokas in Sanskrit with Meaning:

विद्याभ्यास स्तपो ज्ञानमिन्द्रियाणां च संयमः ।

अहिंसा गुरुसेवा च निःश्रेयसकरं परम् ॥

विद्याभ्यास, तप, ज्ञान, इंद्रिय-संयम, अहिंसा और गुरुसेवा – ये परम् कल्याणकारक हैं ।

पठतो नास्ति मूर्खत्वं अपनो नास्ति पातकम् ।

मौनिनः कलहो नास्ति न भयं चास्ति जाग्रतः ॥

पढनेवाले को मूर्खत्व नहि आता; जपनेवाले को पातक नहि लगता; मौन रहनेवाले का झघडा नहि होता; और जागृत रहनेवाले को भय नहि होता ।

अर्थातुराणां न सुखं न निद्रा कामातुराणां न भयं न लज्जा ।

विद्यातुराणां न सुखं न निद्रा क्षुधातुराणां न रुचि न बेला ॥

अर्थातुर को सुख और निद्रा नहि होते; कामातुर को भय और लज्जा नहि होते । विद्यातुर को सुख व निद्रा, और भूख से पीडित को रुचि या समय का भान नहि रहेता ।

अनालस्यं ब्रह्मचर्यं शीलं गुरुजनादरः ।

स्वावलम्बः दृढाभ्यासः षडेते छात्र सद्गुणाः ॥

अनालस्य, ब्रह्मचर्य, शील, गुरुजनों के लिए आदर, स्वावलंबन, और दृढ अभ्यास – ये छे छात्र के सद्गुण हैं ।

अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् ।

अधनस्य कुतो मित्रममित्रस्य कुतः सुखम् ॥

आलसी इन्सान को विद्या कहाँ ? विद्याविहीन को धन कहाँ ? धनविहीन को मित्र कहाँ ? और मित्रविहीन को सुख कहाँ ?

पुस्तकस्या तु या विद्या परहस्तगतं धनं ।

कार्यकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद्धनम् ॥

पुस्तकी विद्या और अन्य को दिया हुआ धन ! योग्य समय आने पर ऐसी विद्या विद्या नहीं और धन धन नहीं, अर्थात् वे काम नहीं आते ।

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