Hindi, asked by preeja02, 1 year ago

vidhyaarthi jivan me dharm kaa mahatva

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Answered by hemad6164
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इतिहास हमें बताता है कि विश्व के सभी धर्मों में ‘हिंदूधर्म’ सबसे पुराना है। इसके बाद इसलाम और ईसाई धर्म का जन्म हुआ। चीन में कंफ्यूशियस धर्म का जन्म हुआ।

भारत में जितने धर्म हैं उतने विश्व में कहीं नहीं। जिन लोगों ने हिंदू धर्म की जटिलताओं को स्वीकार नहीं किया, उन्होंने अपना धर्म अलग से ही बना लिया। फिर लोगों में अपने-अपने धर्म के प्रति रूचि पैदा करने की कोशिश की। इन धर्मों में जैन धर्म एंव बौद्ध धर्म प्रमुख हैं।

बौद्ध और जैन धर्म का विकास हिंदू धर्म के अंतर्गत हुआ है। ये हिंदू ही हैं, भले ही इनको मानने वालों की संख्या बहुत अधिक हो और इनका अलग धर्म दिखता है।

पारसी धर्म ईरान में कन्फ्यूशियस धर्म चीन में ही प्रचलित है। यहूदी इजराइल में हैं, जबकि इसलाम धर्म भारत, पाकिस्तान बांज्लादेश, अफगानिस्तान, ईरान तथा अरब देशों के अतिरिक्त संसार के लगभग सभी देशों में प्रचलित हैं। पूर्व सभी देशों में ईसाइयों की संख्या बहुत अधिक है।

ईसाई धर्म विश्व का सबसे बड़ा धर्म है। ईसाइयों की संख्या विश्व के सभी भागों में है।

संख्या के आधार पर हम किसी धर्म को बड़ा अथवा छोटा नहीं ठहरा सकते। जो लोग सच्चे मन से अपने-अपने धर्मों का पालन करते हैं, वे किसी धर्म का विरोध नहीं करते। क्योंकि वे जानते हैं कि सभी धर्मों का उद्देश्य और सार एक ही है।

आज जो लोग अपने-अपने धर्म की आड् लेकर एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं, वे वास्तव में धर्म के मर्म को न तो जानते हैं और न ही जानने की कोशिश करते हैं। वे तो धर्म के नाम पर मार-काट और लूट-खसोट करना जानते हैं। ऐसे लोग वास्तव में धर्म के विरुद्ध कार्य करते हैं। ऐसे लोगों का सहमाज से बहिष्कार होना चाहिए।



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