vidhyarti or anushasn p essay
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निबंध :- विद्यार्थी जीवन में अनुशाशन
एक विद्यार्थी के जीवन में अनुशाशन का बहुत बड़ा महत्व रहता है अगर अनुशाशन है तोह ही विद्यार्थी जीवन संभव है वरना बिना अनुशाशन के विद्यार्थी जीवन सोचा भी नहीं जा सकता। अगर कोई विद्यार्थी पढ़ने लिखने में ज़यदा आचा नहीं है मगर वो विद्यालय में अनशन से रहता है तो वह निच्चिन्त ही एक दिन बड़ा अफसर बन जायेगा क्योकि वास अनुशाशन का महत्व जनता है ।
अनुशासन राष्ट्रीय जीवन के लिए बेहद जरूरी है। यदि प्रशासन, स्कूल, समाज,परिवार सभी जगह सब लोग अनुशासन में रहेंगे और अपने कर्त्तव्य का पालन करेंगे, अपनी ज़िम्मेदारी समझेंगे तो कहीं किसी प्रकार की गड़बड़ी या अशांति नहीं होगी। नियम तोड़ने से ही अनुशासनहीनता बढ़ती है तथा समाज में अव्यवस्था पैदा होती है।
बड़े होकर अनुशासन सीखना कठिन है। अनुशासन के बिना व्यक्ति पशु के समान है। विद्यार्थी का जीवन अनुशासित व्यक्ति का जीवन कहलाता है। विद्यार्थी को विद्यालय के नियमों पर चलना होता है। शिक्षक का आदेश मानना पड़ता है। ऐसा करने पर वह योग्य, चरित्रवान व आदर्श नागरिक कहलाता है।
विद्यार्थी जीवन में ही बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक गुणों का विकास होता है अत: उसका भविष्य सुखमय बनाने के लिए अनुशासन में रहना जरूरी है। किसी काम को व्यवस्था के साथ-साथ अनुशासित होकर करते हैं तो उस कार्य को करने में कोई परेशानी नहीं होती। इसके अलावा कार्य करते समय भय, शंका एवं गलती होने का डर नहीं होता है। इसलिए सफलता प्राप्त करने के लिए अनुशासन में रहना जरूरी है।
अनुशाशन हम अपने भगवन शिक्षक से सीखते है तो हमें उनकी भी इज़्ज़त करना चाहिये क्योकि हमें बनाने में उन्ही का हाथ होता है । अगर शिक्षक चाहे तोह व किसी भी बच्चे को बना सकता है और बिगाड़ भी सकता है तोह हमें उनके रोज़ प्रणाम करना चाहिये औए उनकी इज़्ज़त करना चाहिये तभी हम एक आदर्श विद्यार्थी बन सकेंगे ।