Vidyalaya ka varshik utsav par nibandh likhiye..
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हमारे विद्यालय का वार्षिक उत्सव कल मनाया गया। सुबह 10 बजे कार्यक्रम आरंभ हुआ। सबले पहले प्रधानाध्यापक जी ने मुख्य अतिथि जी का स्वागत करा। फिर उन्होंने विद्यालय की प्रगति के बारे में बताया और मुख्य अतिथि जी को कुछ शब्द बोलने के लिए आमंत्रित किया। उसके बाद दो अध्यापकों ने विद्यालय में प्रदान करी जा रही शिक्षा के बारे में कुछ शब्द कहे।
तत्पश्चात विद्यार्थियों ने एक नाटक प्रस्तुत करा जिसका मुख्य विषय था 'शिक्षा का महत्त्व'। लोगों ने उसे बहुत पसंद करा और मुख्य अतिथि जी ने भाग लेने वाले विद्यार्थियों की प्रशंसा करी।
दोपहर को सबको दावत दी गयी। विद्यार्थियों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के माता पिता सबने स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया।
शाम को संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत करा गया। विद्यालय के, गायन में निपुण विद्यार्थियों ने एक उत्तम संगीत कार्यक्रम पेश करा। उसके बाद सबको घर जाते समय विद्यालय की ओर से एक पत्रिका उपहार में दी गयी जिसमें विद्यालय के बारे में विवरण दिया गया था। इस प्रकार विद्यालय का वार्षिक उत्सव शाम को 6 बजे संपन्न हुआ।Explanation:
हमारे विद्यालय में प्रतिवर्ष वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे तो हमारी पाठशाला में अन्य कई उत्सव, जैसे-तुलसी जयंती, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, छात्रों की विदाई समारोह, होलिकोत्सव आदि बड़े आनंद तथा उल्लास से मनाए जाते हैं। किंतु इन समस्त उत्सवों में हम छात्र-छात्राओं के लिए वार्षिकोत्सव ही सबसे अधिक आनंददायी होता है।विद्यालय में आयोजित वार्षिकोत्सव में छात्राओं को गणमान्य नागरिकों और छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के सम्मुख पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। इसलिए छात्र-छात्राओं को वार्षिकोत्सव सर्वाधिक महत्वपूर्ण और आनंदमयी प्रतीत होता है। हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव नवंबर में दीपावली के ज्योतिर्मय त्योहार के आस-पास ही मनाया जाता है।
कई सप्ताह पूर्व से हमारे विद्यालय की छात्र-छात्रांए तथा अध्यापक-अध्यापिकांए वार्षिकोत्सव की तैयारी में तन-मन से जुट जाते हैं। उत्सव के दिन प्रात: काल से ही सभी अपने-अपने कार्यों में तत्परता से जुटे रहते हैं। विद्यालय के मैदान में एक विशाल तंबू लगाया जाता है। उसमें लगभग एक हजार व्यक्तियों के बैठने का प्रबंध किया जाता है। तंबू के एक छोर पर बड़ा और ऊंचा भव्य रंगमंच बनाया जाता है। पंडाल और रंगमंच को रंग-बिरंगी झाडिय़ों तथा बंदनवारों तथा गुब्बारों से सुसज्जित किया जाता है। विद्यालय भव को झंडियों तथा रंगीन विद्युत बल्बों से सजाया जाता है। विद्यालय के प्रवेश-द्वार को विशेष रूप से फूल-पत्तियों से सजाकर उस पर स्वागतक लिखा जाता है। समस्त विद्यालय की साज-सज्जा की जाती है। अतिथियों को सम्मान सहित नियत स्थान पर बैठाया जाता है। सुंदर परिधानों से सजे छात्र-छात्रांए कतारबद्ध शिष्टतापूर्वक अनुशासित होकर बैठ जाते हैं।
वार्षिकोत्सव के दिन हमारे अध्यापक-अध्यापिकांए भी सुंदर-सुंदर वस्त्र धारण करते हैं और वे भी उतने ही उल्लसित दिखाई देते हैं जितने कि हम सब विद्यार्थी। मुख्य अतिथि के आगमन होते ही समस्त आगत-अतिथि तथा छात्र समूह खड़े होकर उनका सत्कार करते हैं।
रंगमंच का परदा उठाता है। सर्वप्रथम रंगमंच पर विद्यार्थी खड़े होकर स्वागत करते हैं। उसके बाद मुख्य अतिथि छात्र-छात्राओं को पुरस्कार वितरित करते हैं। इसके पश्चात प्रधानाचार्य महोदय विद्यालय का वार्षिक विवरण पढक़र सुनाते हैं और तब पुन: रंगमंच पर रंग-बिरंगे मनोहारी नाटक, गायन, नृत्य आदि के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। कार्यक्रम की समाप्ति पर प्रधान अतिथि का भाषण होता है और धन्यवाद ज्ञापन की रीति निभाई जाती है। इस अवसर पर उपस्थिति हर व्यक्ति को मिष्ठान प्रदान किया जाता है।
वार्षिकोत्सव विद्यार्थियों को इस बात का अवसर देता है कि हम अपने अध्यापक, अध्यापिकाओं के निकट संपर्क में आकर उन्हें भली-भांति समझ सकें और उनसे कुछ सीख सकें।