Vidyarthi Jeevan Mein Naitik Shiksha ki upyogita
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नैतिक शिक्षा मनुष्य के जीवन में बहुत आवश्यक है। इसका आंरभ मनुष्य के बाल्यकाल से ही हो जाता है। ... सभी धर्मग्रंथों का उद्देश्य रहा है कि मनुष्य के अंदर नैतिक गुणों का विकास करना ताकि वह मानवता और स्वयं को सही रास्ते में ले जा सके। एक बच्चे को बहुत पहले ही घरवालों द्वारा नैतिक मूल्यों से अवगत करा दिया जाता है।
प्राचीन भारत में वर्णाश्रम व्यवस्था के अंतर्गत चारित्रिक उत्कर्ष के लिए नैतिक शिक्षा पर बल दिया जाता था. उस समय विद्यार्थियों में नैतिक आदर्शों को अपनाने की होड़ लगी रहती थी. इस कारण वे संस्कार सम्पन्न होकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करते थे. लेकिन भारत सैकड़ो वर्षो तक पराधीन रहा था.
इसकी वर्णाश्रम व्यवस्था विछिन्न हो गई और शिक्षा का स्वरूप चरित्र निर्माण न होकर अर्थोपार्जन हो गया. इस कारण यहाँ नैतिक शिक्षा का हास्य हुआ है. ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठां , परोपकार, समाज सेवा, उदारता, सद्भावना, मानवीय संवेदना तथा उदात आचरण आदि का अभाव इसी नैतिक शिक्षा के हास का कारण माना जा सकता है. इस स्थति की ओर ध्यान देकर अब प्रारम्भिक माध्यमिक शिक्षा स्तर पर नैतिक शिक्षा का समावेश किया जाने लगा है.
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Answer:
नैतिक शिक्षा मनुष्य के जीवन में बहुत आवश्यक है। ... सब पर दया करना, कभी झूठ नहीं बोलना, बड़ों का आदर करना, दुर्बलों को तंग न करना, चोरी न करना, हत्या जैसा कार्य न करना, सच बोलना, सबको अपने समान समझते हुए उनसे प्रेम करना, सबकी मदद करना, किसी की बुराई न करना आदि कार्य नैतिक शिक्षा या नैतिक मूल्य कहलाते हैं।