Hindi, asked by BIKI7994, 1 year ago

Vidyarthiyo mei badti anushasanheenta

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Answered by vaishnavee2
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आज बच्चों में
अनुशासनहीनता दिखाई
देती है। इस प्रकार बढ़ रही
अनुशासनहीनता उनके
जीवन को नष्ट कर सकती
है। विद्यार्थियों में
अनुशासनहीनता उन्हें
आलसी, कामचोर और
कमज़ोर बना देती है। वे
अनुशासन में न रहने के
कारण उद्दंड हो जाते हैं।
इससे उनका विकास बहुत
धीरे होता है। इसके कारण
लोग उनसे दूर भागने लगते हैं।
इस भागदौड़ वाले जीवन में
वह सबसे पीछे रह जाते हैं।
अनुशासनहीनता के कारण
भी जीवन अस्त-व्यस्त हो
जाता है। खाने-पीने,
पहनने और व्यवहार में अकुंश
नहीं रह पाता है। यह
अनुशासनहीनता
विद्यार्थी के लिए यह
उचित नहीं है। अनुशासन में
रहकर साधारण से
साधारण छात्र भी
परिश्रमी, बुद्धिमान और
योग्य बन जाता है। समय
का मूल्य भी उसे समझ में
आता है। क्योंकि
अनुशासन में रहकर वह समय
पर अपने हर कार्य को
करता है।
प्राचीनकाल में बच्चों को
विद्या ग्रहण करने के लिए
घरों से मीलों दूर वनों में
स्थित आश्रामों में भेजा
जाता था। यहाँ के
अनुशासन युक्त वातावरण
में वह शिक्षा ग्रहण
किया करते थे। उनके लिए
कठोर नियम हुआ करते थे।
गुरू की देख-रेख में वह कई
वर्षों तक रहा करते थे। वहाँ
रहकर वह संयासी का
जीवन व्यतीत करते थे। गुरू
द्वारा उन्हें कड़े अनुशासन
में रखा जाता था। बिना
परिश्रम के उन्हें भोजन भी
नहीं दिया जाता था।
तक्षशिला और नालंदा
विश्वविद्यालय ऐसे ही
आश्रम थे, जहाँ देश-विदेश
से विद्यार्थी आकर
शिक्षा ग्रहण करते थे।
यदि विद्यार्थियों में
इसी तरह अनुशासनहीनता
बढ़ती रही, तो इस देश का
भविष्य भी अंधेरों में खो
जाएगा।
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