Hindi, asked by qwerty7331, 10 months ago

Vidyarthiyo mein badta hua krodh

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क्रोध या गुस्सा एक भावना है। दैहिक स्तर पर क्रोध करने/होने पर हृदय की गति बढ़ जाती है; रक्त चाँप बढ़ जाता है। यह भय से उपज सकता है। भय व्यवहार में स्पष्ट रूप से व्यक्त होता है जब व्यक्ति भय के कारण को रोकने की कोशिश करता है। क्रोध मानव के लिए हानिकारक है। क्रोध कायरता का चिह्न है।सनकी आदमी को अधिक क्रोध आता है उसमे परिस्थितीयो का बोझ झेलने का साहस और धैर्य नही होता।क्रोध संतापयुक्त विकलता की दशा है। क्रोध मे व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता लुप्त हो जाती है और वह समाज की नजरो से गिर जाता है।क्रोध आने का प्रमुख कारण व्यक्तिगत या सामाजिक अवमानना है।उपेक्षित तिरस्कृत और हेय समझे जाने वाले लोग अधिक क्रोध करते है। क्योंकि वे क्रोध जैसी नकारात्मक गतिविधी के द्वारा भी समाज को दिखाना चाहते है कि उनका भी अस्तित्व है।क्रोध का ध्येय किसी व्यक्ति विशेष या समाज से प्रेम की अपेक्षा करना भी होता है।

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