vidynan vardaan ya abhisbap hindi eassy
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आज युग विज्ञान का युग है। आज विज्ञान ने हमारे जीवन को बाहर-भीतर दोनों ओर से प्रभावित किया है। इसने बाहर से हमारे सभी कार्यकलापो को अपने प्रभाव में लिया है, तो भीतर से इसने हमारे मन-मस्तिष्क को अपने अनुकूल बना लिया है। इस प्रकार विज्ञान से हम पूर्णरूप से प्रभावित होकर इसके अनुकूल होने के लिए पूरी तरह बाध्य हो चुके है। इस संदर्भ में यह भी कहना उचित होगा की विज्ञान ने आज इतनी उन्नति कर ली है कि यदि आदि कालीन मनुष्य पृथ्वी पर आ जाए तो उसे शायद यह विशवास ही नही होगा कि यह वही पृथ्वी है। इसके निवासी पहले जैसे है। यहाँ सब कुछ पहले जैसा न होकर कैसे बदल गया।अपनी सर्वव्यापकता को प्रभावशाली बनाने के लिए विज्ञान ने प्रकृति के सभी स्वरूपो को प्रभावित किया है। आज विज्ञान का ही प्रभाव है कि आकाश और पताल के गूढ़ रहस्य आज एक-एक करके खुलते जा रहे है। प्रकृति पर अपनी विजय पताका फहराते हुए विज्ञान ने दुसरे विधाता के रूप में अपनी पहचान प्रस्तुत कर दी है। इसने जल पर स्वत्वाधिकार प्राप्त कर लिया है। इसके लिए इसने विभिन्न जलयान से लेकर दूरबीन जैसी चीजों की खोज करके जल के विषय मे अपने ज्ञान की अपार व्रद्धि कर ली है। इसी तरह इसे न विभिन्न वायुयान सहित कई प्रकार की संचार अनुसंधान सहित कई सुविधाओं को अर्जित करके अपने कौशल का परिचय दिया। पृथ्वी पर विज्ञान की धूम मचने का कहना ही क्या। बिजली के आविष्कार ने विज्ञान को सर्वाधिक गति और उसकी अन्य क्षमताओं का आकर्षक और रोमहर्षक परिचय दिया है। विधुत का आविष्कार की सहायता से हम पलक झपकते ही हम बहुत दूर निकल जाते है। सैकड़ो किलोमीटर की दूरी तय करने में हमें कुछ ही समय लगते घर बैठे-बैठे में हम असाधारण और असम्भव-सा लगने वाला काम आनन-फानन में पूरा कर लेते है। इस दृष्टि से बिजली का आविष्कार आज विज्ञान का एक ऐसा आविष्कार है, जिसके बिना हम निष्प्राण हो सकते है। इसके बिना हमारा कोई कार्य पूरी तरह से न संपादित हो सकता है और न उसके अगले कदम की परिकल्पना ही कि जा सकती है। यही कारण है। आज विज्ञान द्वारा मचाई जा रही धूम का सर्वाधिक आधार बिजली ही है।
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विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध | Essay on Science : Blessing or Curse in Hindi
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विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध | Essay on Science : Blessing or Curse in Hindi!
आज का युग विज्ञान का युग है । हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है । प्राचीन काल में असंभव समझे जाने वाले तथ्यों को विज्ञान ने संभव कर दिखाया है । छोटी-सी सुई से लेकर आकाश की दूरी नापते हवाई जहाज तक सभी विज्ञान की देन हैं ।
विज्ञान ने एक ओर मनुष्य को जहाँ अपार सुविधाएँ प्रदान की हैं वहीं दूसरी ओर दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि नाभिकीय यंत्रों आदि के विध्वंशकारी आविष्कारों ने संपूर्ण मानवजाति को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है । अत: एक ओर तो यह मनुष्य के लिए वरदान है वहीं दूसरी ओर यह समस्त मानव सभ्यता के लिए अभिशाप भी है ।
वास्तविक रूप में यदि हम विज्ञान से होने वाले लाभ और हानियों का अवलोकन करें तो हम देखते हैं कि विज्ञान का सदुपयोग व दुरुपयोग मनुष्य के हाथ में है । यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह इसे किस रूप में लेता है । उदाहरण के तौर पर यदि नाभिकीय ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग किया जाए तो यह मनुष्य को ऊर्जा प्रदान करता है जिसे विद्युत उत्पादन जैसे उपभोगों में लिया जा सकता है ।
परंतु दूसरी ओर यदि इसका गलत उपयोग हो तो यह अत्यंत विनाशकारी हो सकता है । द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी शहरों में परमाणु बम द्वारा हुई विनाश-लीला इसका ज्वलंत उदाहरण है ।
विज्ञान के वरदान असीमित हैं । विद्युत विज्ञान का ही अद्भुत वरदान है जिससे मनुष्य ने अंधकार पर विजय प्राप्त की है । विद्युत का उपयोग प्रकाश के अतिरिक्त मशीनों, कल-कारखानों, सिनेमाघरों आदि को चलाने में भी होता है ।
इसी प्रकार चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान ने अभूतपूर्व सफलताएँ अर्जित की हैं । इसने असाध्य समझे जाने वाले रोगों का निदान ढूँढ़कर उसे साध्य कर दिखाया है । यात्रा के क्षेत्र में भी विज्ञान की देन कम नहीं है । इसके द्वारा वर्षों में तय की जाने वाली यात्राओं को मनुष्य कुछ ही दिनों या घंटों में तय कर सकता है ।
हवाई जहाज के आविष्कार ने तो मनुष्य को पंख प्रदान कर दिए हैं । विज्ञान के माध्यम से मनुष्य ने चंद्रमा पर विजय प्राप्त कर ली है और अब वह मंगल ग्रह पर विजय प्राप्त करने की तैयारी कर रहा है । विज्ञान की देन असीमित है ।